16 अक्टूबर 2024. : पिछले आठ महीनों से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी से मिलने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। कमेटी ने दोनों फोरम को मीटिंग के लिए न्यौता भेजा था। लेकिन किसान नेताओं ने यह कहते हुए कमेटी के साथ बात करने से इंकार कर दिया है कि उन्होंने कभी कोई कमेटी गठित करने की मांग नहीं की थी। दरअसल किसानों ने फसलों की MSP की लीगल गारंटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी से मुलाकात का न्योता अस्वीकार कर दिया है। यह फैसला किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने लिया है। किसानों ने न्योता ठुकराने के साथ ही कमेटी को एक चिट्ठी भी लिखी है। किसानों ने कमेटी की तरफ से भेजे गए न्योते को ठुकराने की वजह बताते हुए कहा कि रास्ता किसानों ने नहीं बल्कि हरियाणा सरकार ने रोका है। किसी भी किसान संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से कमेटी गठन की मांग नहीं की थी।
साथ ही कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े किये। किसान संगठनों ने सात बिंदुओं में अपना पक्ष रखा है जिसमें विस्तार से बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से क्यों बात नहीं करना चाहते हैं। किसान संगठनों ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश किसानों पर सरकारी आरोपों की चर्चा करता है लेकिन किसानों पर हुए सरकारी अत्याचारों की कोई चर्चा नहीं की।