21 फरवरी 2025 : महाशिवरात्रि का पावन पर्व आने वाला है. महादेव के भक्तों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. भोले बाबा के भक्ति किस दिन भोले बाबा को प्रसन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.वह तरह तरह से भोले बाबा का अभिषेक,पूजन आदि करते हैं. भोले बाबा का पूजन करने के लिए कई विशेष नियम होते हैं. पूजन के दौरान हमें उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए. भूलकर भी हमें ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए, जिससे हमें उनकी कोप का शिकार होना पड़े.
ब्रह्म-विष्णु के बीच विवाद : एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है. ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे. तभी वहां एक विराट ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ. दोनों देवताओं ने सर्वानुमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा, उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा. अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का छोर ढूढंने निकले. छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए. ब्रह्माजी भी सफल नहीं हुए, परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे. उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया. केतकी के पुष्प ने भी ब्रह्माजी के इस झूठ में उनका साथ दिया. ब्रह्माजी के असत्य कहने पर स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की आलोचना की.
महादेव ने कहा मेरी पूजा मे नहीं चढ़ेगा यह फूल : दोनों देवताओं ने महादेव की स्तुति की, तब शिवजी बोले कि मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूं. मैंने ही तुम दोनों को उत्पन्न किया है. शिव ने केतकी पुष्प को झूठा साक्ष्य देने के लिए दंडित करते हुए कहा कि यह फूल मेरी पूजा में उपयोग नहीं किया जा सकेगा. इसीलिए शिव के पूजन में कभी केतकी का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता.
महादेव को क्या है पसंद : ऐसे तो भगवान भोलेनाथ को कोई विशेष चीज पूजा के दौरान पसंद नहीं है. लेकिन फिर भी यदि उनके भक्तों द्वारा उन पर दूध, भांग, धतूरा, आंकड़े का फूल या अपराजिता का फूल चढ़ाया जाता है तो वह उन्हें अति प्रिय होता है. इसके साथ-साथ गुलाब का फूल भी भोलेनाथ पर चढ़ाया जा सकता है. गुलाब के फूल में माता पार्वती का वास होता है.
