2 दिसंबर 2024 : भारत में लोग माथे पर तिलक लगाते हैं. सबके तिलक का रंग अलग हो सकता है. लेकिन आपको भारत के हर शहर में लोगों को माथे पर तिलक लगाए हुए दिख जाएंगे. शायद ही लोग जानते होंगे कि पूजा के बाद पंडित जी के तिलक लगाने का क्या मतलब होता है. इसी बारे में लोकल 18 से बात की पंडित गौरांग शर्मा से. आइए जानते हैं उन्होंने तिलक का क्या महत्व बताया.
माथे पर तिलक लगाने का महत्व?
पंडित गौरांग शर्मा कहते हैं कि तिलक लगाने से आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है. तिलक लगाने से पूजा-पाठ, ध्यान, और धार्मिक गतिविधियों के दौरान दिव्य ऊर्जाओं से संबंध बढ़ता है. तिलक लगाने से अनुष्ठान, साधना, और सांस्कृतिक अनुपालन का संकेत मिलता है. तिलक लगाने से नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है. तिलक लगाने से एकाग्रता और ध्यान बढ़ता है. तिलक लगाने से मस्तिष्क शांत होता है. तिलक लगाने से गुस्सा और तनाव कम होता है. साथ ही सकारात्मक सोच भी विकसित होती है.
इंद्रियां होती हैं जागृत
तिलक लगाने से धार्मिक अवसरों पर लोगों को पहचान मिलती है. माथे के बीच में इष्ट देव का सम्मान होता है. पंडित जी ने कहा कि तिलक लगाना कोई साधारण चीज नहीं है. यह हमारे ईस्ट के द्वारा प्रदान किया हुआ आशीर्वाद है. तिलक लगाने से हमारा चिंतन बढ़ जाता है. बिल्कुल मध्य में लगाया जाता है, तिलक लगाने से कई इंद्रियां जागृत हो जाती हैं.
माथे के बीच में क्यों लगता है तिलक?
उन्होंने कहा कि तिलक को मध्य में इसलिए लगाया जाता है कि तीनों नाड़ियां का एक ही मिलन होता है. नाड़ियां का जब मिलन होता है, तो तिलक लगाने से वह नाड़ियां जागृत हो जाती हैं. हमारे शास्त्रों के अनुसार कोई भी व्यक्ति मस्तिष्क के मध्य भाग में तिलक लगाता है तो तिलक से अनेकों परिवर्तन हो जाते हैं. सनातन संस्कृति में आपको अनेक तरह के तिलक देखने को मिलेंगे और यहां पर हर तिलक का एक अपना ही अलग महत्व है.
यही कारण है कि सालों से लोग माथे पर तिलक लगाते आ रहे हैं. जरूरी नहीं है कि आप मंदिर जाओ और पंडित जी ही तिलक लगाएं. आप पूजा करने के बाद घर में मौजूद किसी सदस्य से भी तिलक लगवा सकते हैं. कुछ लोग दिन-वार के हिसाब से भी तिलक लगाते हैं.