परिचय
भारतीय संस्कृति में ऋतुओं का विशेष महत्व है, और प्रत्येक ऋतु का स्वागत किसी न किसी पर्व के माध्यम से किया जाता है। बसंत पंचमी भी ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो न केवल ऋतु परिवर्तन का संदेश देता है, बल्कि इसे माँ सरस्वती की उपासना के रूप में भी मनाया जाता है। यह पर्व शिक्षा, संगीत, कला और ज्ञान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व
बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को माँ सरस्वती की आराधना के रूप में देखा जाता है, जो विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था, जिनकी वीणा के मधुर स्वर से सृष्टि में ज्ञान और संगीत का संचार हुआ।
बसंत पंचमी के मुख्य धार्मिक कार्य
- इस दिन विद्या आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कई परिवारों में छोटे बच्चों को इस दिन पहली बार लेखन कार्य कराया जाता है, जिसे ‘अक्षर आरंभ’ कहा जाता है।
- देवी सरस्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा कर उन्हें पीले पुष्प और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- विद्या और कला के क्षेत्र में कार्यरत लोग अपने औजारों, पुस्तकों और वाद्ययंत्रों की पूजा करते हैं।
- सरस्वती वंदना और भजन गाए जाते हैं।
बसंत पंचमी और पीले रंग का महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने और पीले रंग के भोजन का सेवन करने की परंपरा है। इस दिन पीले चावल, हलवा और केसर मिश्रित मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
पीले रंग का प्रतीकात्मक महत्व
- यह रंग ऊर्जा, ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
- बसंत ऋतु में सरसों के पीले फूल खिलते हैं, जो इस रंग की महत्ता को और बढ़ा देते हैं।
- पीला रंग भगवान विष्णु और देवी सरस्वती का प्रिय रंग माना जाता है।
भारत में बसंत पंचमी के अलग-अलग रूप
भारत के विभिन्न राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है—
- उत्तर भारत: यहाँ माँ सरस्वती की पूजा के साथ पतंगबाजी की भी परंपरा है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में इस दिन विशेष रूप से पतंगें उड़ाई जाती हैं।
- पश्चिम बंगाल: यहाँ इसे ‘सरस्वती पूजा’ के रूप में मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, और माँ सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है।
- राजस्थान: यहाँ इस दिन पीले वस्त्र पहनकर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
- मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश: यहाँ के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं, और लोग माँ सरस्वती से ज्ञान और विद्या का आशीर्वाद मांगते हैं।

बसंत पंचमी और प्रेम का संबंध
बसंत पंचमी को प्रेम और सौंदर्य का पर्व भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कामदेव और रति ने शिवजी को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। यही कारण है कि इस दिन प्रेम और सौंदर्य की भी पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
बसंत पंचमी न केवल ज्ञान और शिक्षा का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति और प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में ज्ञान, संगीत और कला का कितना महत्व है। इसके साथ ही, यह त्योहार बसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी देता है, जब चारों ओर हरियाली और नई ऊर्जा का संचार होता है।
