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200 साल बाद सैलानियों के लिए खुला ऐतिहासिक किला

फिरोजपुर 02 जून 2025 राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देने और फिरोजपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय सेना की गोल्डन एरो डिवीजन ने ऐतिहासिक फिरोजपुर किले को जनता के लिए फिर से खोल दिया है। यह 200 से अधिक वर्षों में पहली बार है कि यह महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक स्थल जनता के लिए सुलभ हुआ है, जो भारत की समृद्ध सैन्य और सांस्कृतिक विरासत के साथ स्थानीय आबादी को जोड़ने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय विरासत के संरक्षण और जिम्मेदार सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

भारत-पाकिस्तान सीमा के पास रणनीतिक रूप से स्थित, फिरोजपुर किला सिख साम्राज्य से 19वीं सदी की सैन्य वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। इसका अनूठा हेक्सागोनल (षटकोणीय) डिज़ाइन और मजबूत रक्षात्मक विशेषताएं अपने समय की रणनीतिक सरलता को दर्शाती हैं। कभी सिख राज के सीमांत रक्षा नैटवर्क में एक महत्वपूर्ण चौकी रहा यह किला, साहस और प्रतिरोध की स्थायी कहानियों को समेटे हुए है और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के आख्यानों में भी प्रमुखता से शामिल है।

फिरोजपुर का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशेष स्थान है, जिसने औपनिवेशिक शासन का बहादुरी से विरोध करने वाले कई शहीदों और क्रांतिकारियों को जन्म दिया है। किले और उसके आस-पास के क्षेत्रों ने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है, जो राष्ट्रीय गौरव और बलिदान का प्रतीक बने हुए हैं।

फिरोजपुर किले में आज एक औपचारिक उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मेजर जनरल आरएस मनराल, एसएम, वीएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, गोल्डन एरो डिवीजन, साथ ही ब्रिगेडियर बिक्रम सिंह, स्टेशन कमांडर और अध्यक्ष, छावनी बोर्ड उपस्थित थे । समारोह में वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारियों, स्थानीय ग्रामीणों और आस-पास के स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया। इस मेजर जनरल मनराल ने इस बात पर जोर दिया कि यह पहल सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने और राष्ट्र की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए भारतीय सेना के समर्पण के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

एक अन्य प्रमुख पहल में, आर्मी पब्लिक स्कूल, फिरोजपुर अनुसंधान और विद्वानों के अध्ययन के उद्देश्य से फिरोजपुर किले को अपनाने के लिए आगे आया है। इस पहल के हिस्से के रूप में, एपीएस फिरोजपुर के दो छात्रों ने आगंतुकों के लिए एक निर्देशित दौरा आयोजित किया, जो क्षेत्र की विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में युवाओं की भागीदारी को दर्शाता है।

फिरोजपुर किले का फिर से खुलना न केवल इस क्षेत्र को उसके गौरवशाली अतीत से जोड़ता है, बल्कि वीरता, लचीलेपन और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में इसकी पहचान की भी पुष्टि करता है, इसे पंजाब के सांस्कृतिक और विरासत पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करता है। भारतीय सेना बड़ी संख्या में आगंतुकों के आने, इस ऐतिहासिक स्थल को देखने और इसकी विरासत को बनाए रखने में योगदान करने की आशा करती है।

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