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गैस-एसिडिटी की दवा ले रहे हैं तो हो जाएं सतर्क! सामने आए चिंताजनक आंकड़े

चंडीगढ़ 30 अप्रैल 2025 : गैस, एसिडिटी और पेट की कई बीमारियों के इलाज में दी जाने वाली दवाएं, जिन्हें प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पी.पी.आई.) कहा जाता है, शरीर में विटामिन बी-12 की कमी का कारण बन सकती हैं। पी.जी.आई. की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की इस स्टडी में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक पी.पी.आई. लेते हैं, उनमें बी-12 की कमी का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है। रिसर्च टीम ने 25 अंतरराष्ट्रीय रिसर्च की समीक्षा की, जिसमें करीब 28,000 मरीज शामिल थे। इनमें से लगभग 2,800 लोग नियमित रूप से पी.पी.आई. दवाएं ले रहे थे। 

इन दवाओं के कारण पेट में बनने वाला एसिड कम हो जाता है, जिससे विटामिन बी-12 का अवशोषण बाधित होता है। हालांकि रिसर्च में यह भी बताया गया कि यह संबंध बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन फिर भी लंबे समय तक पी. पी. आई. लेने वालों को थोड़ा सतर्क रहने की सलाह दी गई है। खास कर जिन लोगों को जोलिंगर एलिसन सिंड्रोम या ईरोसिव इसोफेजाइटिस जैसी समस्याएं हैं, उन्हें विटामिन विटामिन बी-12 की नियमित जांच करानी चाहिए। 

ऐसे होती है बी-12 की कमी 

शरीर में विटामिन बी-12 के अवशोषण के लिए पेट में एसिड का होना जरूरी होता है। पी.पी.आई. दवाएं पेट का एसिड कम कर देती है, जिससे भोजन से बी 12 को अलग करने वाली प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसका असर धीरे-धीरे शरीर पर दिखाई देता है। डॉक्टरों का कहना है कि जो लोग महीनों या सालों से पी.पी.आई. दवाएं ले रहे हैं, उन्हें हर 6-12 महीने में विटामिन बी12 की जांच करानी चाहिए, खासकर बुजुर्गों और शाकाहारियों को, क्योंकि इन वर्गों में बी12 की कमी का खतरा अधिक होता है। डॉक्टर की देखरेख में भी यह दवाएं लेनी चाहिए। 

यह होता है विटामिन बी-12 की कमी से 

थकान और कमजोरी हाथ-पैरों में झुनझुनाहट 
याददाश्त में कमी 
मानसिक भ्रम या डिप्रेशन 
एनीमिया 

यह हैं प्रोटॉन पंप इनहिबिटर 

पी.पी.आई. यानी प्रोटॉन पंप इनहिबिटर दवाएं पेट में बनने वाले एसिड को कमकरने का कामकरती हैं। ये दवाएं गैस, अल्सर, एसिड रिफ्लक्स जैसी बीमारियों में दी जाती है। कुछ आम पी.पी.आई दवाएं ओमे प्राजोल, एसोमेप्राजोल, लैसोप्राजोल आदि। 

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