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बेटी की मौत पर भी रिश्वत की मांग — पिता की वेदना, सिस्टम शर्मसार

 05 नवंबर 2025 : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बेंगलुरु में सामने आए एक बेहद संवेदनशील और शर्मनाक मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले में एक 64 वर्षीय पिता ने आरोप लगाया था कि अपनी इकलौती बेटी की मृत्यु के बाद उसे एम्बुलेंस चालक, पुलिस, श्मशान घाट कर्मचारियों और नगर निगम अधिकारियों — सभी को रिश्वत देनी पड़ी। बेटी की अंतिम यात्रा उसके लिए एक “मानवता के पतन” का अनुभव बन गई।

NHRC ने जारी किया नोटिस, दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

आयोग ने मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया। NHRC ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) से इस पूरे मामले पर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। आयोग ने अपने बयान में कहा —“अगर मीडिया रिपोर्ट में किए गए आरोप सही हैं, तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और सरकारी संस्थाओं की विफलता का उदाहरण है।”

क्या है पूरा मामला

रिपोर्टों के अनुसार, बेंगलुरु के निवासी 64 वर्षीय पिता इकलौती बेटी, जो IIT मद्रास और IIM अहमदाबाद से स्नातक थी और एक निजी कंपनी में कार्यरत थी, को 18 सितंबर 2025 को ब्रेन हेमरेज हुआ था। इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद जब पिता ने एम्बुलेंस बुलाई, तो ड्राइवर ने सेवा शुल्क से अधिक राशि की मांग की। बाद में जब पिता ने बेटी की मृत्यु की सूचना पुलिस को दी, तो एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति देने के लिए भी रिश्वत मांगी गई।

श्मशान घाट और नगर निगम में भी रिश्वतखोरी

मृतका के पिता ने बताया कि उन्होंने बेटी की आंखें दान कर दीं, लेकिन जब वे श्मशान घाट पहुंचे, तो वहां के कर्मचारियों ने फिर पैसे की मांग की। परिवार के पास कोई विकल्प न होने के कारण उन्होंने रकम अदा की।

इसके बाद महादेवपुरा नगर निगम (BBMP) के अधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में भी जानबूझकर देरी की। परिवार के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी के हस्तक्षेप के बावजूद, प्रमाण पत्र तभी जारी हुआ जब पिता ने रिश्वत दी।

NHRC ने जताई गहरी चिंता

NHRC ने अपने नोट में लिखा,“एक व्यक्ति जिसने अपनी संतान को खो दिया है, उसे अगर हर कदम पर रिश्वत देनी पड़े, तो यह न केवल शासन की विफलता है बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी है। आयोग इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की अपेक्षा करता है ताकि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके।”

कर्नाटक सरकार पर बढ़ा दबाव

इस मामले ने कर्नाटक प्रशासन और बेंगलुरु नगर निगम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने राज्य सरकार से तत्काल सस्पेंशन और आपराधिक कार्रवाई की मांग की है।
राज्य सरकार ने फिलहाल मामले की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि किसी भी स्तर पर रिश्वतखोरी या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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