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बिहारी परंपरा: बगिया से गाल सेंकने से नवजातों को ठंड से राहत

मधुबनी 26 जनवरी 2025: अगर आप बिहार से है तो इस चीज को शायद जानते या अपने घर में देखते होंगे, क्योंकि यह ठंड के मौसम यानी कि पौष (पूस) के माह में हर घर में होते हैं. यह उन घरों में अवश्य होता है जिसके यहां नवजात शिशु का जन्म हुआ हो. हमारी नानी-दादी के बहुत सारे नुस्खे होते हैं जो हर शीशु को घर के बुज़ुर्ग करती है, वो क्या है ये समझिए.

नवजात शिशु का बगिया से क्या है कनेक्शन 
बता दें कि नवजात शिशु का भी इससे जुड़ी एक मान्यता है, बिहार में खासकर बगिया से रश्म मनाई जाती हैं जिसे पुषौठ कहते हैं. ये जिसके घर में नवजात शिशु होते है वो उसी वर्ष आने वाले पौष(जनवरी) के महीने में बगिया से बच्चे का गाल सेंकते है ताकि उसका गाल ना फटे, ना सिर्फ गाल बल्कि गर्म गर्म बगिया से पैर, हाथ माथा, पूरे शरीर को सेंकने से उसका गाल या शरीर ठंड में फटता है ऐसा नानी दादी के नुस्खे हैं.

बच्चे को शुभाशीष देने की है परंपरा
यह घर में बड़े बुजुर्ग नानी-दादी पुषौठ करती है, आसपास के समाज में हकार (इनविटेशन) देकर महिलाओं को बुलाया जाता है, सभी को तेल और सिंदूर लगाने की एक विधि होती है. इसमें महिलाओं द्वारा लोकगीत गाया जाता है जिसमें बच्चे को शुभाशीष दी जाती है. इसे कहीं 1 साल तो कोई-कोई नवजात शिशु को 5 सालों तक करती हैं.

नानी-दादी के नुस्खे
यह नुस्खे पुरानी समय से होती आई है जिसमें नया धान का कूटा चावल और आटे से बना बगिया होता है.  यह पुराने चावल के आटे के बगिया से नहीं होता है. कहा जाता है कि जितना मुलायम सफेद बगिया बनता  है वैसे ही बच्चों का गाल हो जाता है.

सर्दियों में हर घर की पहली पसंद है बगिया
वैसे भी बिहार के लोग सर्दियों के मौसम में खूब तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद लेते है. उन्हीं में से एक बगिया भी है, खासकर पौष माह में इसे हर घर में बनाया जाता है. साथ ही अलग-अलग प्रकार का बगिया भी बनता है, जिसमें गुड़ (मीठा) वाली बगिया सबसे ज्यादा स्पेशल माना जाता है. बांकी दाल भरकर, आलू आदि भी भरकर बनाया जाता है.

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