नई दिल्ली 14 दिसंबर 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी हाई कोर्ट्स को निर्देश दिया है कि वे अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट यानी UAPA जैसे कानूनों के तहत लंबित मामलों की विस्तृत हालात की जांच करें। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में, जहां खुद को निर्दोष साबित करने का भार आरोपी पर होता है, हाई कोर्ट्स को पेंडिंग ट्रायल्स का आकलन करना होगा।
सरकारी वकीलों की नियुक्ति की स्थिति क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से यह भी कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि इन मामलों की सुनवाई के लिए कितनी विशेष अदालतें बनी है और सरकारी वकीलों की नियुक्ति की स्थिति क्या है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि पांच साल से अधिक समय से लंबित मामलों की प्राथमिकता के आधार पर हर दिन सुनवाई कराई जाए। ये निर्देश उस समय दिए गए जब सुप्रीम कोर्ट 2010 के ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा आरोपियों को दी गई जमानत के खिलाफ सीबीआई की याचिकाओं पर फैसला सुना रहा था।
ट्रायल तेजी से पूरा कराए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने में गलती की थी लेकिन घटना को लंबा समय बीत जाने और आरोपियों द्वारा जमानत शर्तों का दुरुपयोग न करने को देखते हुए इस चरण पर उनकी जमानत रद्द नहीं की जा सकती। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि जब किसी कानून में उल्टा भार आरोपी पर होता है, तो राज्य का दायित्व और बढ़ जाता है कि वह ट्रायल तेजी से पूरा कराए।
