22 अक्टूबर 2025: पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाडा किले में तीन मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. वायरल वीडियो में महिलाएं शनिवार वाडा की ऊपरी मंज़िल पर चटाई बिछाकर नमाज अदा करती दिख रही हैं. यह वीडियो सामने आने के बाद न सिर्फ हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया, बल्कि राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई.
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के संरक्षण में आने वाले शनिवार वाडा परिसर में धार्मिक गतिविधि करने को लेकर पुणे पुलिस ने तीन अज्ञात महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एफआईआर Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (AMASR) Rules, 1959 के तहत दर्ज की गई है, क्योंकि यह संरक्षित धरोहर स्थल है, जहाँ किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होती.
गोमूत्र से ‘शुद्धिकरण’, प्रदर्शन और तनाव
वीडियो सामने आने के बाद BJP सांसद मेधा कुलकर्णी ने सोशल मीडिया पर इसकी निंदा की और इसे “ऐतिहासिक धरोहर का अपमान” बताया. इसके बाद उन्होंने सकल हिंदू समाज और पतित पावन संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ शनिवार वाडा में विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों ने उस स्थान पर गौमूत्र और गोबर छिड़ककर शुद्धिकरण किया और “शनिवार वाडा हमारा है”, “पेशवाओं का गौरव कायम रहेगा” जैसे नारे लगाए. पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी और धक्का-मुक्की को देखते हुए मौके पर हल्का बल प्रयोग किया. इस झड़प में कई लोग मामूली रूप से घायल हुए. बाद में वाशी विभाग के डीसीपी कृष्णकेश रावले ने बताया कि आगे की कार्रवाई एएसआई से चर्चा के बाद की जाएगी.
इस पूरे विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति को भी गर्मा दिया है. अजित पवार गुट की एनसीपी ने बीजेपी सांसद मेधा कुलकर्णी पर धार्मिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की. एनसीपी नेता रूपाली थोम्बरे ने कहा कि “शनिवार वाडा में दशकों पुरानी कब्र मौजूद है, नमाज पढ़ना अपराध नहीं. बीजेपी इस मुद्दे को चुनावी ध्रुवीकरण के लिए उछाल रही है.” वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी इस घटना को “सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश” बताया.
महारास्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने कहा कि वो स्वागत करते है हिन्दू विंग के कार्यकर्ताओं का जिन्होंने नमाज पढ़ने के बाद शनिवार वाडा का गौमूत्र से शुद्धिकरण किया.
शनिवार वाडा का ऐतिहासिक महत्व
शनिवार वाडा पुणे की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. इसका निर्माण पेशवा बाजीराव प्रथम ने वर्ष 1732 में करवाया था. यह कभी हिंदवी स्वराज्य और पेशवाओं की सत्ता का केंद्र हुआ करता था. इसीलिए, स्थानीय संगठनों का कहना है कि यहाँ किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए. फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है और एएसआई से रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
