10 अप्रैल 2025 : मध्य प्रदेश के रीवा में हनुमान जी के तीन ऐसे अनोखे मंदिर हैं, जिन्हें भक्त अदालत की तरह मानते हैं. हर मंगलवार और शनिवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन करने पहुंचते हैं. मान्यता है कि इन मंदिरों में हनुमान जी खुद न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं और सच्चे मन से की गई हर अर्जी पर फैसला सुनाते हैं.
कहा जाता है कि इन मंदिरों में बजरंगबली की स्थापना करीब 500 साल पहले बघेल राजवंश ने करवाई थी. तीनों मंदिर तालाबों के किनारे स्थित हैं. इनका निर्माण रीवा रियासत के महाराजा व्यंकटरमण सिंह जूदेव ने कराया था. उस समय इन मंदिरों की पूजा चिरौल दास बाबा किया करते थे. उनके बारे में यह मान्यता है कि वे जल पर चलकर तालाब पार कर लेते थे. भक्तों का विश्वास है कि जो भी इन मंदिरों में सच्चे मन से अपनी समस्या लेकर आता है, उसे समाधान ज़रूर मिलता है. इसी आस्था के चलते यहां सबसे अधिक भीड़ देखी जाती है.
तीन मंदिर, तीन अदालतों की मान्यता
इन तीनों मंदिरों को भक्त तीन अलग-अलग अदालतों के रूप में देखते हैं. पुजारी के अनुसार, रामसागर मंदिर को जिला न्यायालय माना जाता है, जहां भक्त अपनी समस्याओं की पहली अर्जी लगाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके बाद चिरहुला हनुमान मंदिर आता है, जिसे हाईकोर्ट की मान्यता दी गई है. वहीं, सबसे आगे स्थित खेमसागर हनुमान मंदिर को सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है. मान्यता है कि जिन भक्तों की सुनवाई जिला न्यायालय से नहीं होती, वे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करते हैं. पुजारी का यह भी कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की पीड़ा जरूर दूर होती है और किसी की भी अर्जी खाली नहीं जाती.
मन्नत पूरी होने पर भंडारे का आयोजन
जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती है तो वह चिरहुला मंदिर में रामचरितमानस का पाठ कराता है और भंडारे का आयोजन करता है. खास बात यह है कि तीनों मंदिर एक ही दिशा में स्थित हैं, जिससे यह धार्मिक मार्ग और भी पवित्र माना जाता है.