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“माता चिंतपूर्णी मेले के लिए श्रद्धालुओं के लिए अहम निर्देश जारी”

3 अगस्त 2024 : 5 अगस्त से 14 अगस्त तक चलने वाले माता चिंतपूर्णी मेले को लेकर जिला प्रशासन की ओर से तैयारियां कर ली गई हैं। मेले को सफल बनाने के लिए डी.सी. कोमल मित्तल की पहल पर 2 राज्यों का जिला प्रशासन एक मंच पर आया और मेला व्यवस्था को सुचारु ढंग से चलाने के लिए एक दूसरे के साथ चर्चा की। आज ए.डी.सी. राहुल चाबा की अध्यक्षता में एस.पी. ऊना संजीव भाटिया, एस.पी. (आप्रेशन) नवनीत कौर, एस.डी.एम. होशियारपुर प्रीतइंद्र सिंह बैंस व डी.सी. ऊना के सहायक कमिश्नर वरिन्द्र शर्मा के अलावा होशियारपुर व ऊना जिले के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई। इस दौरान मेले में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने पर चर्चा हुई।

ऊना प्रशासन ने बताया कि होशियारपुर से माता चिंतपूर्णी को जाने वाला रास्ता वन-वे होगा यानि की श्रद्धालु होशियारपुर से माता चिंतपूर्णी पहले वाले रूट जो कि होशियारपुर-गगरेट-मुकारकपुर से होते हुए माता चिंतपूर्णी जाएंगे लेकिन वापसी माता चिंतपूर्णी से मुबारकपुर, अंब, ऊना से होते हुए होशियारपुर आएंगे। उन्होंने बताया कि दिन के समय में भारी वाहन न भेजे जाएं ताकि जाम के कारण श्रद्धालुओं को परेशानी न हो।

ए.डी.सी. राहुल चाबा ने कहा कि वन-वे होने से ट्रैफिक नियंत्रण आसानी से हो जाएगा और श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि वे मेले के दिनों में प्रशासन द्वारा तय किए गए इसी रूट का पालन करें ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोपहिया वाहन से लेकर बड़े वाहन सभी माता चिंतपूर्णी मेले चलने तक इसी रूट का पालन करेंगे। इस दौरान उन्होंने नगर निगम, परिवहन विभाग, रोडवेज विभाग के अधिकारियों को मेले को लेकर सही व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित बनाया जाए कि मेले के दौरान बसों की छतों पर श्रद्धालु न हो। लंगर कमेटियों को लाऊड स्पीकर के लिए एस.डी.एम. से आज्ञा लेना अनिवार्य होगा। ए.डी.सी. ने बैठक के दौरान उन्होंने अलग-अलग विभागों को निर्देश दिए कि मेले के सुचारू संचालन में वे लंगर कमेटियों के साथ तालमेल बनाकर काम करें। उन्होंने सचिव आर.टी.ए. को निर्देश दिए कि वे यकीनी बनाएं कि मेले के दौरान कोई भी श्रद्धालु भार ढोने वाले वाहनों (कमर्शियल वाहनों) पर न जाएं क्योंकि इन वाहनों से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि कर्मशियल वाहनों पर श्रद्धालुओं को फट्टे आदि लगाकर बिठाया जाता है, जिससे जहां कानून का उल्लंघन होता है, वहीं किसी गंभीर हादसे का खतरा भी बना रहता है।

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