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जमीन घोटाले में शामिल नायब तहसीलदार बर्खास्त

— जांच के अनुसार, शामिलात जमीन की 10,365 कनाल भूमि को गैर-कानूनी तरीके से निजी व्यक्तियों के नाम किया गया स्थानांतरित: ए.सी.एस. अनुराग वर्मा
— मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
— ए.सी.एस. अनुराग वर्मा द्वारा भ्रष्टाचार और जमीन की रजिस्ट्रेशन में देरी के खिलाफ डिप्टी कमिश्नरों को सख्त चेतावनी जारी
— भ्रष्टाचार खत्म करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सब-रजिस्ट्रार/जॉइंट सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाना अनिवार्य


चंडीगढ़, 26 फरवरी:
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की ‘भ्रष्टाचार विरोधी जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराते हुए, पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ए.सी.एस.) सह वित्त आयुक्त राजस्व (एफ.सी.आर.) अनुराग वर्मा ने खरड़ के गांव सिउंक में शामिलात जमीन का गैर-कानूनी तरीके से निजी व्यक्तियों के नाम पर इंद्राज करने के आरोप में नायब तहसीलदार वरिंदरपाल सिंह धूत को बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं।
नायब तहसीलदार धूत के खिलाफ यह कार्रवाई एक विस्तृत जांच के बाद की गई, जिसमें उन्हें पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स एक्ट, 1961 के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। इस व्यापक जांच में पता चला कि नायब तहसीलदार धूत ने गांव माझरी, एस.ए.एस. नगर में अपनी तैनाती के दौरान 28 सितंबर 2016 को इंद्राज संख्या 1767 को मंजूरी दी थी, जिसके तहत खरड़ तहसील के गांव सिउंक की 10,365 कनाल और 19 मरले शामिलात जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया गया था।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि यह इंद्राज पंजाब सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी स्पष्ट निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले (जगपाल सिंह बनाम पंजाब केस) के खिलाफ किया गया था, जिसमें शामिलात जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम स्थानांतरित करने या इंद्राज करने पर रोक लगाई गई थी।
सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी.आर. बांसल द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि धूत ने न केवल गैर-कानूनी रूप से इंद्राज को मंजूरी दी, बल्कि खेतवारों/कब्जाधारकों के हिस्सों को बिना उचित सत्यापन के घटाया या बढ़ाया, जिससे बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई। कुछ मामलों में, उन व्यक्तियों को भी शेयरधारकों के रूप में शामिल कर दिया गया जिनका जमीन पर कोई वैध दावा नहीं था।
धूत की इन अनियमितताओं को “दुर्भावनापूर्ण मंशा” करार देते हुए, एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा ने बर्खास्तगी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, “ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। इस कारण, उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैं सक्षम अधिकारी के रूप में नायब तहसीलदार (निलंबित) वरिंदरपाल सिंह धूत को पंजाब सिविल सर्विसेज (सजा और अपील) नियम, 1970 के उपनियम 5 के तहत सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लेता हूं और आदेश देता हूं।”
यह कार्रवाई ए.सी.एस. सह एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा द्वारा पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों (डी.सी.) को भ्रष्टाचार और बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) के प्लॉटों की रजिस्ट्रेशन में देरी के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी करने के बाद अमल में लाई गई है। यह चेतावनी नवंबर 2024 में जारी सरकारी नोटिफिकेशन के बावजूद राज्य के विभिन्न हिस्सों में बिना एन.ओ.सी. वाले प्लॉटों की रजिस्ट्रेशन में देरी और भ्रष्टाचार की रिपोर्टें सामने आने के बाद जारी की गई थी।
गौरतलब है कि इससे पहले, ए.सी.एस. सह एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा ने तहसीलदार रणजीत सिंह को लुधियाना पूर्वी तहसील कार्यालय में बैठकर जगराांव में संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों को धोखाधड़ी से पंजीकृत करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, रणजीत सिंह ने शाम 5:12 बजे जगराांव में दस्तावेज पंजीकृत किए और मात्र चार मिनट बाद, शाम 5:16 बजे लुधियाना पूर्वी में एक अन्य दस्तावेज पंजीकृत किया, जो कि मानव रूप से संभव नहीं है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने और कानूनी व प्रशासनिक प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, एफ.सी.आर. अनुराग वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार या किसी अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, तकनीकी उपायों के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से, ए.सी.एस.-कम-एफ.सी.आर. ने राज्यभर के सभी सब-रजिस्ट्रार और जॉइंट सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में चार क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन (सी.सी.टी.वी.) कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं। साथ ही, सभी डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया गया है कि वे सी.सी.टी.वी. फीड का नियंत्रण अपने हाथ में लें और समय-समय पर लाइव फुटेज की जांच करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब-रजिस्ट्रार और जॉइंट सब-रजिस्ट्रार अपने कार्यालयों में उपस्थित रहें और नागरिकों को अपने कार्यों को करवाने में अनावश्यक देरी या कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

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