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CM सिद्धारमैया पर भर्ती वादा नहीं पूरा करने का आरोप, युवाओं ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

26 सितंबर 2025 : कर्नाटक के धारवाड़ जिले में गुरुवार, 25 सितंबर 2025 को हजारों प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थी सड़कों पर उतर गए और प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। अखिल कर्नाटक छात्र संघ के नेतृत्व में हुए इस विरोध में अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार से कई मांगें रखीं, जिनमें सरकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया को तुरंत शुरू करना और पुलिस कॉन्स्टेबल पदों पर भर्ती के लिए आयु सीमा बढ़ाने की मुख्य मांगें शामिल हैं।

अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें और नाराजगी

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कर्नाटक सरकार पिछले एक साल से सरकारी पदों की भर्ती पर रोक लगाए हुए है, जिससे हजारों युवाओं की मेहनत और उम्मीदों को ठेस पहुंची है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और युवा असमंजस की स्थिति में हैं। अभ्यर्थियों ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में देरी के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक और मानसिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

धारवाड़ को ‘प्रतियोगी परीक्षाओं की काशी’ कहा जाता है, क्योंकि पूरे प्रदेश से लाखों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां आते हैं। ऐसे में यहां की युवा पीढ़ी की नाराजगी कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक बड़ा राजनीतिक संकट बनती जा रही है।

आंतरिक आरक्षण और भर्ती पर विवाद

कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2024 में अनुसूचित जाति (SC) समुदायों के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने के नाम पर सरकारी भर्तियों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद आरक्षण की मांग को लेकर एक समिति गठित की गई, जिसने अगस्त 2025 में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को सौंपी।

इस रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों के 17 प्रतिशत आरक्षण को विभाजित करते हुए दलित दक्षिणपंथी समूह (होलेयास) और दलित वामपंथी समूह (मडिगा) को 6 प्रतिशत आरक्षण, वहीं लम्बानी कोरमा, कोराचा, भोविस जैसे स्पृश्य जातियों और 59 सूक्ष्म समुदायों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा गया था। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस आरक्षण मैट्रिक्स को मंत्रिमंडल से मंजूरी भी दिलाई।

भर्ती शुरू न होने से गुस्सा

हालांकि, इस आरक्षण व्यवस्था को मंजूरी मिलने के बाद भी सरकार ने सरकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की। इससे अभ्यर्थियों में भारी निराशा और आक्रोश फैल गया। सीएम सिद्दारमैया ने एक महीने पहले विधानसभा सत्र के दौरान वादा किया था कि आंतरिक आरक्षण लागू होते ही भर्ती प्रक्रिया पुनः चालू कर दी जाएगी, लेकिन अभी तक भर्ती शुरू नहीं हुई है।

इस वादे के अधूरे रहने और लंबे समय तक इंतजार के कारण अभ्यर्थियों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया है, जिसका नतीजा धारवाड़ में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आया है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि बेरोजगारी और निराशा की स्थिति से छुटकारा मिल सके।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

धारवाड़ में हो रहे इस प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि कर्नाटक कांग्रेस सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओं की नाराजगी न केवल राज्य सरकार की साख को प्रभावित कर रही है, बल्कि आगामी चुनावों में भी इसका असर पड़ सकता है। साथ ही, आंतरिक आरक्षण के विवाद ने प्रदेश में सामाजिक असंतोष को भी हवा दी है।

सरकार के लिए जरूरी होगा कि वह इस मुद्दे को जल्द सुलझाए और युवाओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू करे, जिससे प्रदेश में स्थिरता और युवाओं में विश्वास कायम रह सके।

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