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श्रावण को क्यों कहते हैं सावन? जानिए शिव भक्ति के इस माह का अर्थ

09 जुलाई 2025 : सावन का महीना आते ही शिव भक्तों में एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिलती है. मंदिरों में लंबी कतारें लगती हैं, हर तरफ हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देती है और भक्त पूरे मन से शिव की पूजा में जुट जाते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस महीने को ‘श्रावण’ कहा जाए या ‘सावन’? क्या ये दोनों एक ही चीज़ हैं या इनमें कोई अंतर है? इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

कब से शुरू होगा सावन 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास 11 जुलाई 2025 से शुरू होगा और 9 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान हर सोमवार को विशेष पूजा की जाती है, जिसे ‘सावन सोमवार व्रत’ कहा जाता है. इस बार कुल 4 सोमवार पड़ेंगे जो शिव भक्ति के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं.

श्रावण या सावन – सही नाम क्या है?
इस महीने को लेकर सबसे आम सवाल यही होता है कि इसका सही नाम क्या है – श्रावण या सावन? असल में, ‘श्रावण’ ही इसका मूल नाम है. ये नाम संस्कृत से लिया गया है. पंचांग के मुताबिक, साल के पांचवें महीने के अंतिम दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के आधार पर उस महीने का नाम रखा जाता है. श्रावण मास के अंतिम दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है, इसलिए इसका नाम श्रावण पड़ा.

धीरे-धीरे आम बोलचाल की भाषा में यह ‘श्रावण’ शब्द ‘सावन’ में बदल गया. यानी सावन उसी श्रावण का सरल और बोलचाल वाला रूप है.

श्रावण का मतलब क्या होता है?
श्रावण का मतलब होता है – सुनना. अगर इसे गहराई से समझें तो इस महीने का मौसम भी इसका संकेत देता है. बरसात के दिनों में वातावरण में शांति और नमी होती है, ऐसे समय में मन में बहुत सी बातें चलती हैं. ये समय भीतर की ओर ध्यान देने और कुछ अच्छा सुनने का होता है. इसलिए कहा गया है कि इस महीने में भगवान शिव की कथाएं, मंत्र और भजन सुनने से मन स्थिर होता है और आत्मा को शांति मिलती है.

सावन का धार्मिक महत्व
शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में सावन महीने को बहुत ही खास बताया गया है. कहा गया है कि इस महीने में की गई पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है. शिवलिंग पर जल, दूध या बेलपत्र चढ़ाने से न सिर्फ इच्छाएं पूरी होती हैं, बल्कि पुराने पाप भी मिट जाते हैं.सावन के सोमवार का खास महत्व होता है. लोग व्रत रखते हैं, शिव चालीसा पढ़ते हैं और मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं. यह माना जाता है कि इस दौरान की गई तपस्या और सेवा से जीवन में सुख, शांति और सफलता आती है.

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