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इस मंदिर में क्यों रोते हैं भगवान? रहस्य या किसी संकट का संकेत

21 फरवरी 2025 : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान रोते हैं. यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है लेकिन यह सच है. कांगड़ा के बज्रेश्‍वरी देवी मंदिर में भैरव बाबा की एक अनोखी प्रतिमा है. इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि जब भी आसपास के क्षेत्रों में कोई परेशानी आने वाली होती है तो भैरव बाबा की इस मूर्ति से आंसुओं का गिरना शुरू हो जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था.

भैरव बाबा की प्रतिमा का इतिहास
बज्रेश्‍वरी देवी मंदिर में स्‍थापित भैरव बाबा की प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह प्रतिमा 5 हजार साल से भी ज्‍यादा पुरानी है. इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब भी उन्‍हें प्रतिमा से आंसू गिरते हुए दिखते हैं, तो वह भक्‍तों के संकट काटने के लिए प्रभु की विशेष पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं. इसके अलावा हवन भी किया जाता है.

स्थानीय लोगों का मानना
स्थानीय लोगों का मानना है कि भैरव बाबा की प्रतिमा से आंसू गिरना एक अपशकुन का संकेत होता है. उनका मानना है कि जब भी कोई आपदा आने वाली होती है तो भैरव बाबा की प्रतिमा रोने लगती है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हालांकि वैज्ञानिक इस बात को नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि भैरव बाबा की प्रतिमा में कुछ ऐसे रसायन हैं जो नमी के संपर्क में आने पर प्रतिक्रिया करते हैं और आंसू जैसे दिखने वाले तरल पदार्थ का स्राव करते हैं.

भक्तों की आस्था
चाहे वैज्ञानिक कुछ भी कहें लेकिन भक्तों की आस्था इस प्रतिमा के साथ जुड़ी हुई है. वे मानते हैं कि भैरव बाबा उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें आने वाले संकटों से आगाह करते हैं. यही कारण है कि बज्रेश्‍वरी देवी मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

मंदिर की अन्य विशेषताएं
बज्रेश्‍वरी देवी मंदिर न केवल भैरव बाबा की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है. यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है और इसमें कई सुंदर मूर्तियां और नक्काशी हैं. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है. यहां मां सती का दाहिना वक्षस्थल गिरा था. इसलिए इसे स्तनपीठ भी कहा गया है और स्तनपीठ भी अधिष्ठात्री बज्रेश्वरी देवी है. स्तनभाग गिरने पर वह शक्ति जिस रूप में प्रकट हुई वह बज्रेश्वरी कहलाती हैं. मंदिर परिसर में ही भगवान लाल भैरव का भी मंदिर है.

मंदिर कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग: कांगड़ा का निकटतम हवाई अड्डा गगल एयरपोर्ट है, जो मंदिर से 11 किलोमीटर दूर है. यहां से टैक्सी या ऑटो रिक्शा लिया जा सकता है.
रेल मार्ग: कांगड़ा का अपना रेलवे स्टेशन है, लेकिन यह नैरो गेज (छोटी लाइन) पर है, इसलिए यह सभी बड़े स्टेशनों से जुड़ा नहीं है. नजदीकी ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन) स्टेशन पठानकोट है, जो यहां से 87 किलोमीटर दूर है.
सड़क मार्ग: कांगड़ा उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. कई शहरों से यहां के लिए सीधी बसें उपलब्ध हैं.

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