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नवरात्रि में कन्याओं को दूध-जलेबी क्यों खिलाई जाती है? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

03 अप्रैल 2025 : नवरात्रि में भक्त सप्तमी से माता के रूप में कन्याओं को पूजने लगते हैं. खासकर अष्टमी और नवमी के दिन तो कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन खासकर 2 से 10 साल की कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है.

लेकिन आपने गौर किया होगा कि कई जगहों पर भक्त कन्याओं को केवल दूध और जलेबी विशेष रूप से खिलाते हैं. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? क्या इसके पीछे कोई धार्मिक कारण है या कोई वैज्ञानिक तर्क भी जुड़ा हुआ है? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण.

धार्मिक कारण – मां दुर्गा को प्रिय है यह भोग
शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन में मीठे और पौष्टिक भोजन का विशेष महत्व होता है.जलेबी घी और मैदे से बनी होती है, जो सात्विक भोजन में आता है और देवी दुर्गा को प्रिय है.

दूध को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करता है.

जलेबी का गोल आकार सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे कन्याओं को खिलाकर माता से आशीर्वाद मांगा जाता है.

यह खुशी और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए इसे प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

वैज्ञानिक कारण – दूध-जलेबी का पोषण और स्वास्थ्य लाभ
1. एनर्जी बूस्टर –
जलेबी में चीनी और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो तुरंत ऊर्जा (Energy) देते हैं.
कन्याओं को व्रत के बाद यह भोजन ताकत और स्फूर्ति प्रदान करता है.

2. दूध और जलेबी का बेहतरीन संयोजन –
दूध प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D का अच्छा स्रोत है, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत करता है.
जलेबी में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और दूध का प्रोटीन पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है.

3. मौसम के अनुकूल भोजन –
नवरात्रि अक्सर गर्मियों और बदलते मौसम में ही आती है, जिससे शरीर में कमजोरी आ सकती है.
दूध-जलेबी शरीर को ठंडक और ऊर्जा दोनों प्रदान करती है.

4. मीठा खाने से मन प्रसन्न होता है –
वैज्ञानिक रूप से मीठा खाने से डोपामिन हार्मोन सक्रिय होता है, जिससे खुशी महसूस होती है.
यही कारण है कि नवरात्रि में कन्याओं को मीठे भोजन जैसे हलवा-पूरी और दूध-जलेबी खिलाने की परंपरा है.

अन्य परंपराएं और कन्या पूजन में प्रसाद के विकल्प

हलवा, पूड़ी और चने – यह सबसे आम भोग है, जो पूरे भारत में प्रचलित है.
खीर और फल – कुछ जगहों पर कन्याओं को दूध, खीर और फल भी खिलाए जाते हैं.
खिचड़ी और दही – बंगाल और पूर्वी भारत में यह भोजन दिया जाता है.
बूंदी और केला – यह उत्तर भारत में खासतौर पर प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

हालांकि, दूध-जलेबी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह तुरंत एनर्जी देता है, पचाने में हल्का होता है और देवी दुर्गा को भी प्रिय है. इसके अलावा जो थोड़ी बड़ी कन्याएं पूजा में आती हैं, और अगर उनका व्रत भी है, तो भी वो इन दोनों चीजों को ही खा सकतीं हैं.

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