28 जून 2025 चातुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होता है. इसका समापन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होगा. आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के 4 माह चातुर्मास के नाम से जाने जाते हैं. चातुर्मास के पहले दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और 4 माह तक योग निद्रा रहते हैं, इस वजह से शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है. उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि चातुर्मास कब से शुरू है? चातुर्मास का समापन कब होगा?
2025 में चातुर्मास कब से शुरू है?
चातुर्मास के प्रारंभ के बारे में जानने के लिए आपको यह जनना होगा कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी किस दिन है. दृक पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि 5 जुलाई शनिवार को शाम 6:58 बजे से लेकर 6 जुलाई रविवार को रात 9:14 बजे तक है. उदयातिथि तिथि के आधार पर आषाढ़ शुक्ल एकादशी 6 जुलाई को है, तो इस इस साल चातुर्मास 6 जुलाई रविवार से शुरू होगा.
चातुर्मास के पहले दिन बनेंगे 4 शुभ योग
चातुर्मास के पहले दिन देवशयनी एकादशी है. उस दिन 4 शुभ योगों का निर्माण होगा. चातुर्मास की शुरूआत के दिन साध्य योग, शुभ योग, रवि योग और त्रिपुष्कर योग बनेंगे. उस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र विद्यमान होंगे. हालांकि भद्रा सुबह में लगेगी, लेकिन उसका वास स्थान पाताल और स्वर्ग लोक होगा. देवशयनी एकादशी पर लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करेंगे. उस दिन से सभी देव पूरे चातुर्मास सोएंगे.
चातुर्मास कब से कब तक है 2025?
इस साल चातुर्मास 6 जुलाई से लेकर 1 नवंबर तक है. चातुर्मास का समापन 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा. उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आएंगे और सभी देव उठ जाएंगे. उसके बाद से शुभ कार्य प्रारंभ होंगे.
चातुर्मास में कौन से शुभ कार्य नहीं होंगे
1. चातुर्मास में विवाह कार्य पर रोक लग जाता है. इन चार माह में शादी के लिए कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं.
2. चातुर्मास के समय में गृह प्रवेश भी नहीं होता है. यदि आप अपने घर में गृह प्रवेश करना चाहता है तो आपको अब चातुर्मास के बाद ही शुभ मुहूर्त प्राप्त होंगे.
3. चातुर्मास में नामकरण, मुंडन और उपनयन संस्कार यानि जनेऊ के लिए भी मुहूर्त नहीं होता है. इसमें ये कार्य भी नहीं किए जाते हैं.
चातुर्मास में शुभ कार्य क्यों नहीं होते हैं?
चातुर्मास में भगवान विष्णु समेत सभी देव सो जाते हैं. देवों के सोने की अवस्था में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. चातुर्मास में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. ऐसे में चातुर्मास के समय शिव पूजा का विशेष है.
