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बदला नहीं लेना है, हमें तो…; सातारा की डॉक्टर युवती की मौत पर उठे सवाल, निंबाळकर ने आखिर क्या कहा?

30 अक्टूबर 2025 : सातारा जिले के फलटण उपजिला अस्पताल में एक महिला डॉक्टर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद भाजपा के पूर्व सांसद रणजीतसिंह नाईक निंबाळकर पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोप है कि निंबाळकर के कारखाने से जुड़ी वसूली के लिए पुलिस मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव उस डॉक्टर पर बनाया जा रहा था। इसी दबाव के चलते वह मानसिक तनाव में थी और आखिरकार उसने आत्महत्या कर ली। इस मामले में कई राजनीतिक नेताओं ने निंबाळकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

आलोचनाओं के बीच निंबाळकर के समर्थकों पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने विरोधी नेताओं को फोन कर धमकी भरे लहजे में बात की। इसी बीच निंबाळकर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए अपने कार्यकर्ताओं से संयम रखने की अपील की।

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों से मुझ पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जो लोग ये आरोप कर रहे हैं, वे गलत जानकारी पर भरोसा कर रहे हैं। मैंने कुछ ऑडियो क्लिप सुनी हैं, जिनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता महेबूब शेख और शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गुट) की सुषमा अंधारे के बारे में अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया गया है। मैं सभी समर्थकों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें। हमें संवैधानिक और कानूनी रास्ते से जवाब देना चाहिए, न कि अनुचित तरीके से प्रतिक्रिया करनी चाहिए।”

निंबाळकर ने आगे कहा, “हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को बनाए रखना है। हमें बदला नहीं लेना, बल्कि बदलाव लाना है। जैसा कि हमने एक साल पहले घोषणा की थी, हमें उसी सोच के साथ आगे बढ़ना है।”

निंबाळकर पर क्या आरोप हैं?

शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे) की नेता सुषमा अंधारे ने निंबाळकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “फलटण की महिला डॉक्टर की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि संस्थागत हत्या है। निंबाळकर के दबाव में यह घटना हुई है। मुख्यमंत्री को उन्हें क्लीन चिट देने की जल्दी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि क्लीन चिट का मतलब जांच रोक देना होता है। इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट की समिति बनाई जानी चाहिए।”

अंधारे ने यह भी दावा किया कि “निंबाळकर अपने चीनी मिल के लिए बीड जिले से गन्ना मजदूर लाते थे और उन्हें फैक्ट्री न छोड़ने देने के लिए उस महिला डॉक्टर पर मजदूरों की फिटनेस सर्टिफिकेट देने का दबाव डालते थे। इस बारे में डॉक्टर ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भी लिखा था।”

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