17 अगस्त 2025: तिरुप्पुर, जो भारत की निटवियर राजधानी के रूप में जाना जाता है, इस समय गहरी चिंता में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% तक के भारी टैरिफ ने इस क्षेत्र की 20,000 फैक्ट्रियों और लगभग 30 लाख लोगों की नौकरियां संकट में डाल दी हैं।
तिरुप्पुर की भूमिका — भारत की निटवियर निर्यात में 68% योगदान
तिरुप्पुर निर्यातक संघ के संयुक्त सचिव कुमार दुरईसामी के अनुसार, यहां 2,500 निर्यातक और 20,000 छोटी इकाइयां काम कर रही हैं। पिछले वित्त वर्ष में, तिरुप्पुर का कारोबार लगभग ₹44,744 करोड़ था, जो COVID, आर्थिक मंदी और रूस‑यूक्रेन संकट के बावजूद 20% की वृद्धि दर्शाता है।
- निर्यात का वितरण:
- अमेरिका – 40%
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- यूरोप – 40%
- ब्रिटेन – 10%
- बाकी (ऑस्ट्रेलिया, UAE, सऊदी अरब, अफ्रीका) – 10%
टैरिफ का असर और ताना-बाना टूटने का खतरा
- अंडरगारमेंट, बेबीसूटर और स्लीपवियर जैसी वस्तुओं पर मार्जिन बहुत कम है (सिर्फ 5–7%)। ऐसे में 50% टैरिफ का बोझ उठाना असंभव हो गया है।
- अमेरिका ने कुछ खरीदारों को 27 अगस्त तक ही शिपमेंट करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद वे नए आदेश रोकने का निर्णय ले चुके हैं।
- अनुमान लगाया जा रहा है कि तिरुप्पुर से अमेरिका के लिए किए जाने वाले ₹6,000 करोड़ के आदेश खतरे में हैं ।
तमिलनाडु का बड़ा आह्वान — मुख्यमंत्री की PM मोदी से अपील
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल बचाव उपाय की मांग की है:
- भारत के कुल ₹433.6 अरब निर्यात का 20% अमेरिका को होता है, लेकिन तमिलनाडु का 31% निर्यात सिर्फ अमेरिका को जाता है ।
- राज्य का टेक्सटाइल निर्यात 28% है और तत्कालीन 30 लाख नौकरियां खतरे में हैं ।
- मुख्यमंत्री ने ब्याज सब्सिडी योजना, रिपेमेंट में ढील, GST सुधार, और कॉटन पर इम्पोर्ट ड्यूटी हटाने जैसे समर्थन उपायों की वकालत की है।
और भी व्यापक असर — पूरे उद्योग पर छाया संकट
- Crisil की रिपोर्ट के अनुसार, डायमंड, शेल्फ़, होम टेक्सटाइल्स, कार्पेट्स जैसे क्षेत्रों पर भी 50% टैरिफ काषणति प्रभाव हो सकता है।
- इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री अब मांग कर रही है कि:
- लघु अवधि में वित्तीय समर्थन और आयात‑निर्भर वस्तुओं पर टैक्स कमी की जाए ।
- UK और EU के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) तेज़ी से लागू किए जाएँ ।
रणनीतिक आगे के कदम
- भारत के पीएम ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और निर्माण क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की प्रतिज्ञा की है।
- वाणिज्यिक संस्थाएं (CITI, AEPC) पहले ही उचित समर्थन और बाजार विविधीकरण की मांग उठा चुकी हैं।
