पुणे 08 दिसंबर 2025 : आने वाले दिनों में राज्य के विभिन्न शहरों की नगर निगम चुनावों की घोषणा होने की संभावना है। इसी पृष्ठभूमि पर सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर नए नेताओं को शामिल करने की तैयारी में जुट गए हैं। इसी कड़ी में पुणे में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर महापालिका पर कब्जा जमाने के लिए मित्र दलों के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं को भी अपने पाले में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसी संदर्भ में कल पुणे में भाजपा की कोर कमेटी की एक बैठक हुई। इस बैठक में पार्टी में किसे शामिल किया जाए, इस मुद्दे पर पुणे के दो ‘अण्णा’ के बीच तीखी तकरार होने की जानकारी सामने आई है।
पुणे भाजपा की कोर कमेटी की यह बैठक सोमवार को हुई थी। बैठक में राष्ट्रवादी शरदचंद्र पवार पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और सांसद सुप्रिया सुले के खड़कमवसला विधानसभा क्षेत्र के भरोसेमंद नेता रहे सचिन दोडके को भाजपा में शामिल करने के मुद्दे पर स्थानीय विधायक भीमराव तापकीर और सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ के बीच जोरदार बहस हो गई। सचिन दोडके भाजपा में आने के इच्छुक हैं और इसी वजह से उन्होंने खड़कमवसला क्षेत्र में बैनर भी लगवाए हैं। इन बैनरों पर मुरलीधर मोहोळ की तस्वीरें भी दिखाई देती हैं।
बैनर में लिखा है— “मैं आ रहा हूं जनता के आग्रह पर, खड़कमवसला की जनता की सेवा के लिए”. इन बैनरों पर दोडके के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहोळ के फोटो भी लगे हैं, जिससे उनका भाजपा में प्रवेश लगभग तय माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मुरलीधर मोहोळ सचिन दोडके को भाजपा में शामिल कराने के पक्ष में हैं। इसी मुद्दे पर भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में मोहोळ और विधायक तापकीर के बीच तीखी शब्दयुद्ध की स्थिति बन गई।
सचिन दोडके ने 2019 और 2024 दोनों विधानसभा चुनावों में भीमराव तापकीर के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
- 2019 में उन्हें मात्र 2,595 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
- जबकि 2024 में तापकीर ने उन्हें 52,322 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
खड़कमवसला विधानसभा क्षेत्र में सचिन दोडके को भीमराव तापकीर का कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। ऐसे में अपने ही विरोधी को पार्टी में शामिल किए जाने पर तापकीर कड़े रूप से आपत्ति जता रहे हैं। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रिया सुले के भरोसेमंद नेता सचिन दोडके की वजह से भाजपा में आंतरिक विवाद खड़ा हो गया है?
उधर, एक ओर भाजपा में बाहर से आने वाले नेताओं का पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर संभावित प्रवेश को लेकर बैठक में ही सीधे टकराव की घटना पहली बार सामने आई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन संभावित प्रवेशों को लेकर भाजपा का राज्य-स्तरीय नेतृत्व क्या निर्णय लेता है।
