पुणे 10 दिसंबर 2025 : “लोहेगांव एयरपोर्ट के आगे–पीछे की जमीन निजी है और उसे ‘नो डेवलपमेंट ज़ोन’ घोषित किया गया है। इस जमीन का अधिग्रहण कर एयरपोर्ट की रनवे को बढ़ाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। बड़े आकार के विमानों का संचालन न हो पाने के कारण राज्य को 100 से अधिक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) से निवेश गंवाना पड़ा है,” ऐसा खुलासा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निवेश एवं नीति सलाहकार कौस्तुभ धवसे ने मंगलवार को किया।
वे मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज़ एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) द्वारा आयोजित ‘पुणे ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर 2025’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (MIDC) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. पी. वेलरासू, नगर निगम आयुक्त नवलकिशोर राम, अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी. पी. और MCCIA के महासंचालक प्रशांत गिरबाने उपस्थित थे।
धवसे ने कहा, “लोहेगांव एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित की जाने वाली अतिरिक्त जमीन का मुआवज़ा पुणे नगर निगम टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) के रूप में देगा। एयरपोर्ट का ‘ऑब्सटैकल लिमिटेशन सर्वे’ (OLS) पूरा हो चुका है और रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को भेज दी गई है। वहां अत्यंत धीमी गति से निर्णय होने के कारण मामला लंबित है। इसी के लिए मुख्यमंत्री फडणवीस ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है। सौभाग्य से पुणे के सांसद मुरलीधर मोहोळ नागर विमानन राज्यमंत्री हैं, और वे भी मामले का लगातार पालन कर रहे हैं। मंजूरी मिलते ही बड़े विमान पुणे से संचालित हो सकेंगे।”
पुणे में भूमि अधिग्रहण — एक ‘दुःस्वप्न’
धवसे ने आगे बताया,
“राज्य में कहीं भी भूमि अधिग्रहण पुणे विभाग जितना कठिन नहीं है। राज्य के अन्य सभी प्रोजेक्ट बिना अड़चन के आगे बढ़े, लेकिन पुणे में भूमि अधिग्रहण ‘भीषण दुःस्वप्न’ साबित हुआ है। जमीन मालिकों को कई गुना मुआवज़ा देने के बावजूद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ रहा। एयरपोर्ट नहीं बना तो जमीनों की कीमत नहीं बढ़ेगी और प्रोजेक्ट हमेशा के लिए अटक जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए चार–पांच गुना से ज्यादा मुआवज़ा देना संभव नहीं, वरना प्रोजेक्ट व्यवहार्य नहीं रहेगा।”
इतिहास का सबसे शर्मनाक रिकॉर्ड
धवसे ने कहा,
“बौद्धिक क्षमता, कार्यस्थल का माहौल और प्रभावी नेटवर्किंग के कारण पुणे देश की ‘GCC कैपिटल’ बन सकता है। महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से अगले दो वर्षों में शहर का चेहरा बदल जाएगा।
मुंबई में 2000 से 2010 के बीच तेज़ किराया वृद्धि होने पर IT कंपनियाँ बेंगलुरु और हैदराबाद चली गईं।
पुणे में 11 वर्षों में केवल 11 किमी मेट्रो—यह देश के मेट्रो इतिहास का सबसे शर्मनाक रिकॉर्ड है,” ऐसा धवसे ने कहा।
