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मंडी के राजमहल की छुपी हुई कहानी; पत्थरों और दाल से बने महल का क्या है राज?

मंडी. मंडी जिला जिसे अपने प्राचीनतम इतिहास और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. ऐसे में लोकल 18 की टीम आज आपको मंडी राजवंश के राजमहल जिसे दमदमा पैलेस भी कहा जाता है और जो मंडी के इतिहास की सबसे बड़ी बिल्डिंग थी उसके बारे जानकारी देने जा रही है. मंडी जिला में आजादी से पहले सेन वंश के राजाओं द्वारा राज किया जाता था. उसी समय यहां मौजूद राजवंश ने इस पैलेस का निर्माण करवाया था और यह बिल्डिंग बहुत पुरानी होने के साथ साथ बहुत मजबूत भी थी. आज तक यह मंडी के प्राचीन काल के इतिहास को दर्शा रही है.

यह दमदमा पैलेस है और यह पैलेस पहाड़ी शैली की वास्तुकला का अदभुद नमूना है, जो सीमेंट और ईंटों से नहीं बल्कि पत्थरों से बना हुआ है. उस जमाने में सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था तो इन पत्थरों की चिनाई के लिए इसके बेस में मास की दाल का उपयोग किया गया है.

स्थानीयों ने बताया
मंडी के स्थानीय निवासी खेम चंद शास्त्री के अनुसार यह दमदमा पैलेस मंडी शहर की एक विशेष खासियत रखने वाला स्थान है जिसे मंडी के राजाओं द्वारा बनवाया गया था और इस दमदमा पैलेस को राजवंश के द्वारा कृष्ण रूप माधव राय के सम्मान में बनाया गया था और आज भी यहां माधव राय का मंदिर मौजूद हैं और यही अब मंडी के राजा भी हैं.

क्यों राजा ने बनवाया यह पैलेस
यह मंदिर मंडी के पूर्व में रहे राजा सूरज सेन द्वारा 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था. राजा सूरज सेन भगवान कृष्ण के महान भक्त थे. राजा ने यह मंदिर भगवान माधव राय (कृष्ण) को मंडी रियासत के संरक्षक देवता के रूप में स्थापित करने के लिए बनवाया. यह मंदिर यह दर्शाता है कि राजा ने भगवान कृष्ण को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक और शासक माना.

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