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दिवाली के बाद फटाकों की अवधि बढ़ी, महापालिका चुनाव तीन चरणों में प्रस्तावित

मुंबई 18 सितंबर 2025 : राज्य में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव तीन चरणों में आयोजित करने की योजना राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा बनाई जा रही है। इसके अनुसार, मुंबई समेत 29 नगरपालिकाओं के चुनाव तीसरे चरण में यानी जनवरी 2026 में कराए जाने की संभावना है। दिवाली के बाद पहले चरण में, नवंबर में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों के अवसर पर राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है। विशेष बात यह है कि इन चुनावों के कारण राज्य में आचार संहिता लागू रहने की संभावना है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं।

न्यायालय का आदेश: महापालिका, नगरपालिका, नगर पंचायत, जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव कई वर्षों से रुके हुए थे। अब अगले वर्ष 31 जनवरी तक इन चुनावों को कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दिया है। आयोग को आदेश की लिखित प्रति अभी प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन न्यायालय के निर्देशों के अनुसार तीन चरणों में चुनाव कराने की योजना बनाई जा रही है।

आयोग के सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होंगे। दूसरे चरण में नगरपालिका और नगर पंचायत के चुनावों का कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। अंतिम चरण में 29 नगरपालिकाओं के चुनाव होंगे। इस प्रस्तावित चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक जानकारी जल्द ही राज्य सरकार को दी जाएगी।

तैयारी: मुंबई और अन्य 29 नगरपालिकाओं के चुनाव की तैयारी को कुछ समय बाकी है। हालांकि, जिला परिषद और नगरपालिका चुनावों की आवश्यक तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। पहले दो चरणों के चुनाव इसी वजह से समय पर संपन्न होंगे। इसके अलावा, अक्टूबर के अंत तक मुंबई महापालिका और अन्य महापालिकाओं के वार्ड निर्माण का काम पूरा होने की संभावना है।

आचार संहिता: तीन चरणों में होने वाले चुनावों के कारण राज्य में नवंबर से जनवरी तक चुनाव आचार संहिता लागू रहने की संभावना है। यह आचार संहिता केवल संबंधित स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के क्षेत्र में ही लागू होगी। वहीं, राज्य सरकार का हिवाळी अधिवेशन भी कम अवधि का होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि “राज्य में 2022 से लंबित स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव किसी भी हालत में 31 जनवरी 2026 तक कराए जाएं। आगे कोई समय सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी। सभी प्रक्रियाओं को निर्धारित समय में पूरा किया जाना चाहिए।” न्यायालय ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी भी जताई थी। मई में दिए गए अंतरिम आदेश में चार महीनों के भीतर, यानी सितंबर तक, चुनाव कराने का निर्देश भी शामिल था।

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