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सूखी ठंड और प्रदूषण का दोहरा हमला, सेहत और खेती पर मंडराया संकट

गुरदासपुर 18 दिसंबर 2025 :  इस समय सूखी और हल्की ठंड का दौर जारी है। पिछले कई दिनों से बारिश न होने के कारण सर्दी ने अभी तक पूरी तरह दस्तक नहीं दी है, हालांकि तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। बारिश की कमी के कारण आसमान में धूल और मिट्टी के कण छाए रहते हैं, जिसका सीधा असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। जिले के भीतर दोपहर से पहले हवा गुणवत्ता सूचकांक 200 से ऊपर दर्ज किया गया, जबकि दोपहर बाद यह लगभग 150 के आस-पास रहा।

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हवा गुणवत्ता के ये दोनों स्तर मानवीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश न होने से धूल के बारीक कण हवा में बढ़ जाते हैं, जिस कारण प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। इस क्षेत्र के भीतर का औसत तापमान 22 डिग्री सैंटीग्रेड के करीब दर्ज किया जा रहा है, जबकि रात का तापमान 8 से 9 डिग्री सैंटीग्रेड के करीब ही है। आने वाले पूरे हफ्ते तापमान इसी के आस-पास रहने की संभावना है और लोगों को घनी धुंध का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग अनुसार आने वाले दिनों में बारिश की ज्यादा संभावना नहीं बताई जा रही पर कुछ दिनों के दौरान बादल छाए रहने के कारण तापमान में गिरावट आ सकती है।

फसलों पर मौसम का असर

बारिश की कमी के कारण किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों और नहरी पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। खास करके गेहूं, सरसों और अन्य रबी फसलों के लिए नमी की जरूरत होती है। मौजूदा सूखे मौसम के कारण जहां मिट्टी में नमी घट रही है, वहीं फसल की शुरुआती वृद्धि पर भी असर पड़ सकता है। खेती विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे जरूरत अनुसार ही फसल की सिंचाई करें और ज्यादा भारी पानी देने से परहेज करें, ताकि मिट्टी की बनावट खराब न हो और फसलों को नुकसान न पहुंचे। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में भी बारिश नहीं होती, तो सिंचाई की योजना समझदारी से बनाना बहुत जरूरी होगा।

मानवीय स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव

बढ़ रहे प्रदूषण के कारण आम लोगों में आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, जुकाम और दमे जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। खास करके बच्चे, बुजुर्ग और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों अनुसार लंबे समय तक खराब हवा में रहने से दिल और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मौजूदा समय गुरदासपुर में दर्ज किए गए हवा गुणवत्ता सूचकांक स्तर स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं माने जा सकते। गुरदासपुर जिले में बारिश की कमी के कारण जहां एक तरफ किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण बढ़ने के कारण आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि गैर-जरूरी तौर पर बाहर जाने से बचें, मास्क का इस्तेमाल करें और किसान मौसम के मद्देनजर सिंचाई संबंधी सावधानी बरतें।

हवा गुणवत्ता सूचकांक के स्तर

विशेषज्ञों अनुसार हवा के गुणवत्ता सूचकांक के 0 से 50 तक के स्तर को स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह लाभदायक माना जाता है जबकि 51 से 100 संवेदनशील लोगों के लिए हल्का नुकसानदेह होता है। 101 से 200 को दरमियाना से खराब कहा जाता है जो दमा, दिल और सांस के मरीजों के लिए हानिकारक है। 201 से 300 को बहुत खराब माना जाता है जो आम लोगों के लिए भी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। 301 से ऊपर गंभीर स्वास्थ्य खतरे का कारण बनता है जिस दौरान डॉक्टर ज्यादातर बीमारों को बाहर जाने से परहेज करने की सलाह देते हैं।

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