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कोर्ट ने उठाए सवाल: आधे घंटे में कैसे दर्ज हुई DIG भुल्लर पर FIR?

चंडीगढ़ 08 नवंबर 2025 पंजाब पुलिस के निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में दर्ज FIR के तरीके पर CBI की विशेष अदालत ने सवाल उठाए हैं। अदालत ने बीते दिन सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि निलंबित डीआईजी भुल्लर की 30 साल की आय का हिसाब आधे घंटे में कैसे लगाया गया। अदालत ने विजिलेंस की एफआईआर पर संदेह जताया, जबकि भुल्लर के वकील ने कहा कि सीबीआई की एफआईआर विजिलेंस के बाद दर्ज की गई थी। इसलिए सीबीआई की एफआईआर का कोई कानूनी आधार नहीं है।

अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि विजिलेंस ब्यूरो ने 29 अक्टूबर को सुबह 10:35 बजे गुप्त सूचना मिलने के आधे घंटे के भीतर 11 बजे एफआईआर दर्ज कर ली। अदालत ने कहा कि 30 साल की सेवा के दौरान जोड़ी गई जायदाद की वैरिफिकेशन 30 मिनट में संभव नहीं है। यह स्पष्ट नहीं है कि सूचना की सच्चाई की जांच किए बिना इतनी जल्दी मामला कैसे दर्ज कर लिया गया। अदालत ने कहा कि विजिलेंस की एफआईआर केवल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर दर्ज की गई प्रतीत होती है। चंडीगढ़ CBI की विशेष अदालत ने FIR को रहस्यमय बताया है।

विजिलेंस की चुप्पी पर सवाल

अदालत ने कहा कि पंजाब विजिलेंस की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील हरभजन कौर ने अदालत के सवाल के बावजूद कोई दलील नहीं दी। विजिलेंस ब्यूरो की चुप्पी के कारण स्पष्ट हैं। 16 अक्टूबर को CBI ने भुल्लर को रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था। 13 दिन बाद, 29 अक्टूबर को आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया। वहीं पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने भी 29 अक्टूबर को ही भुल्लर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया। अब दोनों एजेंसियां ​​एक-दूसरे के मामले को गलत साबित करने की कोशिश कर रही हैं।

हालांकि अदालत में विजिलेंस की दलीलें कमजोर साबित हुईं। विजिलेंस की FIR 29 सितंबर को सुबह 11 बजे दर्ज की गई, जबकि CBI ने उसी दिन दोपहर 12:30 बजे मामला दर्ज किया। भुल्लर के वकील ने अदालत में सवाल उठाया कि CBI की FIR का कोई मतलब नहीं है और उस मामले में भुल्लर की रिमांड वैध नहीं है। वहीं, CBI के सरकारी वकील नरिंदर सिंह ने सवाल उठाया कि पंजाब विजिलेंस ने भुल्लर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला 29 अक्टूबर को सुबह 11 बजे दर्ज किया था।

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