09 दिसंबर 2025 : कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक बड़ा नोटिस जारी किया है। यह नोटिस सन 1980 की वोटर लिस्ट में कथित तौर पर नागरिकता हासिल करने से पहले नाम जुड़वाने के आरोप से जारी किया गया है। डिटेल में जानते हैं कि क्या है ये पूरा मामला?
क्या है पूरा मामला?
सोनिया गांधी पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की, लेकिन उनका नाम इससे तीन साल पहले, यानी 1980 की नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया था। याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी ने आरोप लगाया है कि यह दर्शाता है कि पहली बार नाम जोड़ने के लिए फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया गया होगा।

क्यों पहुंचा मामला दोबारा कोर्ट?
दरअसल विकास त्रिपाठी ने पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर कर सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन अतिरिक्त Chief Judicial Magistrate ने 11 सितंबर को इस याचिका को खारिज कर दिया था। CJM ने अपने आदेश में कहा था कि मतदाता सूची से जुड़े मामलों की जांच करना अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 329 का उल्लंघन होगा। इस आदेश को चुनौती देते हुए विकास त्रिपाठी ने अब विशेष न्यायाधीश की अदालत में रिवीजन याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अब सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने सोनिया गांधी से मांगे इन सवालों के जवाब
रिवीजन याचिका में कोर्ट से निम्नलिखित सवालों के जवाब मांगे गए हैं:
1. जब सोनिया गांधी ने 1983 में नागरिकता हासिल की, तो 1980 की वोटर लिस्ट में उनका नाम कैसे शामिल हुआ?
2. क्या फर्जी दस्तावेज़ों का सहारा लिया गया था?
3. सोनिया गांधी का नाम 1982 में वोटर लिस्ट से क्यों हटाया गया था?
