23 जून 2025 : ज्योतिष में शादी से जुड़े कई योग देखे जाते हैं, जिनमें से एक है षडाष्टक योग. यह योग आमतौर पर तब चर्चा में आता है जब दो लोगों की कुंडली मिलाई जाती है. बहुत बार देखा गया है कि वर और वधु की कुंडली में अगर यह योग बन रहा हो तो रिश्ते को लेकर संशय पैदा हो जाता है. अब सवाल यह है कि आखिर ये षडाष्टक योग क्या होता है? और अगर यह कुंडली में आ जाए तो इसका असर व्यक्ति या दंपत्ति पर कैसे पड़ता है? इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं इंदौर निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.
षडाष्टक योग क्या होता है?
जब दो राशियों के बीच का अंतर छठे या आठवें स्थान पर होता है, तब षडाष्टक योग बनता है. इसे भकूट दोष भी कहा जाता है. यानी अगर एक व्यक्ति की चंद्र राशि मेष हो और दूसरे की कन्या, तो इन दोनों राशियों के बीच 6वीं दूरी है, जिससे षडाष्टक योग बनता है. इसी तरह आठवीं दूरी पर भी यही स्थिति मानी जाती है.
यह योग तब ज्यादा मायने रखता है जब किसी की शादी या साझेदारी की बात हो रही हो. मान्यता है कि यह योग दो लोगों के बीच मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक तालमेल को बिगाड़ सकता है.
मित्र षडाष्टक क्या होता है?
अब जरूरी यह समझना है कि हर षडाष्टक योग अशुभ नहीं होता. कुछ राशियों के बीच बनने वाला षडाष्टक मित्र षडाष्टक कहलाता है. जैसे अगर किसी की राशि मेष है और दूसरे की वृश्चिक, या वृष और तुला, मिथुन और मकर, कर्क और धनु, सिंह और मीन, या कन्या और कुंभ – तो ये राशियाँ भले ही 6/8 स्थान पर हों, लेकिन इनके स्वामी ग्रह आपस में मित्र होते हैं.
इसलिए इनका योग ज्यादा नुकसान नहीं करता. कई बार ऐसे योग में विवाह सफल भी देखा गया है.
शत्रु षडाष्टक से क्यों बचना चाहिए?
कुछ राशियाँ ऐसी भी होती हैं जो आपस में शत्रु स्वभाव की होती हैं. अगर दो लोगों की राशियाँ इस तरह के षडाष्टक योग में आती हैं तो इसे शत्रु षडाष्टक कहा जाता है. उदाहरण के लिए – मेष/कन्या, वृष/धनु, मिथुन/वृश्चिक, कर्क/कुंभ, सिंह/मकर, तुला/मीन. इन राशियों के स्वामी ग्रह आपस में मेल नहीं खाते.
ऐसे योग में शादी के बाद मानसिक मतभेद, झगड़े या स्वास्थ्य से जुड़े विवाद बढ़ सकते हैं. इसलिए शत्रु षडाष्टक योग को विवाह से पहले गंभीरता से देखना जरूरी माना गया है.
