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50 लाख के गहनों में स्कूली छात्राओं का मायरा, जिला शिक्षा अधिकारी ने खुद संभाली जिम्मेदारी

बाड़मेर, 12 जनवरीदेशभर में अपराधों के बढ़ते रिकॉर्ड और बढ़ती चोरियों के बीच भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर में एक आयोजन में अनूठा नजारा देखने को मिला जब एक आयोजन में 8 बेटियां लाखो के सोने के जेवर पहुँच कर अपनी प्रस्तुति देने पहुँची. नख से अख तक सोने के भारी भरकम आभूषण और जेवरात पहने इन बच्चियों को देखकर हर कोई अचंभित हो गया.

50 लाख रुपये के गहने पहनकर चढ़ी मंच पर तो हर कोई रह गया दंग
दरअसल बाड़मेर जिला मुख्यालय के भगवान महावीर टाउन हॉल में जिला स्तरीय युवा महोत्सव में जिले के हर ब्लॉक से स्कूली विद्यार्थी पहुँचे थे. आयोजन में समूह गायन में जाम्भोजी मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय धोरीमन्ना की आठ बालिकाएं मायरा गान के लिए पहुँची थी. इनके नाम की घोषणा के बाद जैसे ही शारदा, लाली, माया, सांवरी, विकासी, रूखमणी , अमिता और सरला मंच पर चढ़ी तो हर कोई इन्हें देखकर हैरान हो गया. इन सभी ने तकरीबन 40 से 50 लाख के सोने के आभूषण पहन रखे थे.

जिला शिक्षा अधिकारी ने निभाई ढ़ाल लेने की परंपरा 
इनके मायरा गान से भगवान महावीर टाउन हॉल में मौजूद सैकड़ो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. आलम यह रहा कि इनके मायरा गान के बाद ढ़ाल लेने की परंपरा को खुद जिला शिक्षा अधिकारी कृष्ण सिंह रानीगांव ने अपने हाथों से किया. उन्होंने इनके कलश में पैसे डाले और इनके राजस्थानी परिधान और लोक गायन की जमकर तारीफ की. यह सभी बच्ची विश्नोई समुदाय से नाता रखती हैं और अपने पारम्परिक परिधान में मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हुए लोगों का दिल जीत लिया है.

पुरानी संस्कृति व रीति रिवाज को जीवित कर रही छात्राएं
शारदा ने लोकल18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि वह अपनी पुरानी संस्कृति को बचाने के लिए लाखों रुपये के गहने और पारम्परिक वेशभूषा में आए है. वहीं सरला ने बताया कि उनके मायरा गायन को लेकर लोगो का खूब प्यार मिला है. इतना ही नही जब जिला शिक्षा अधिकारी खुद भात की थाल लेने मंच पर पहुंचे तो यह पल बहुत ही यादगार लम्हा बन गया है.

ऐसे अवसर पर गाते है मायरा, जाने क्या होता है मायरा
बहन के बच्चों की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में भात भी कहते हैं. इस रस्म में ननिहाल पक्ष की ओर बहन के बच्चों के लिए कपड़े, गहने, रुपए और अन्य सामान दिया जाता है. इसमें बहन के ससुराल पक्ष के लोगों के लिए भी कपड़े और जेवरात आदि होते हैं. इसी समय यह मायरा गायन गाया जाता है.

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