26 अगस्त 2025 : रत्नागिरी, प्रसाद रानडे: कोकण में गणेशोत्सव के बीच ही मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा वैभव खेडेकर समेत कई पदाधिकारियों की बर्खास्तगी के बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पत्र मिलने के तुरंत बाद खेडेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी भूमिका स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि गणेशोत्सव के बाद अब उन्हें अगली राजनीतिक राह तय करनी होगी। बर्खास्तगी का पत्र मिलते ही उन्हें सबसे पहला फोन मंत्री नितेश राणे का आया। इसके बाद कई भाजपा पदाधिकारियों, विधायक शेखर निकम और पूर्व विधायक संजय कदम ने भी फोन कर उन्हें हिम्मत दी।
खेडेकर ने कहा, “यह पत्र मेरी निष्ठा का सर्टिफिकेट है।”
उन्होंने बताया कि पार्टी को तले-तले तक ले जाने और मनसे से विधायक चुनवाने के लिए उन्होंने पूरी मेहनत की, यहां तक कि मंत्रियों से भी टकराव किया। लेकिन इसके बावजूद यही उनकी निष्ठा का फल मिला। खेडेकर भावुक होकर बोले, “राज साहेब कल भी मेरे दिल में थे, आज भी हैं। सोशल मीडिया पर जब बर्खास्तगी का पत्र देखा तो मन सुन्न हो गया। पिछले 15 साल से खेड नगर परिषद मनसे के पास रही और मैं पहली बार सीधे नगराध्यक्ष बना। कोविड संकट में भी जनता के साथ खड़ा रहा। लेकिन मुझे संदेह के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया।”
उन्होंने आगे कहा कि दो महीने से राज ठाकरे से मिलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। उनके मुताबिक, “आज जिस पत्र पर हस्ताक्षर हैं, वे भी मेरी मुलाकात कराने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिली। शिवसेना से लेकर मनसे तक का मेरा 30 साल का सफर रहा। मनसे बढ़े, यही मेरी धुन थी। लेकिन अब लगता है कि मेरा मनसे इंजन थम गया है।”
पत्र में पार्टी ने खेडेकर समेत अविनाश सौंदळकर (राजापूर), संतोष नलावडे (चिपळूण) और सुबोध जाधव (माणगांव) को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। इसमें लिखा गया है कि पार्टी के नियमों और नीतियों का उल्लंघन करने तथा पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते राज ठाकरे के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में खेडेकर ने सवाल उठाया:
“मेरा अपराध क्या है, यह मुझे आज तक नहीं पता। राज्य की पहली खेड नगरपरिषद जीतकर लाई, पंचायत से लेकर युवा मनसे तक झंडा उठाया, फिर भी मुझे बर्खास्त कर दिया गया। क्या यही है मेरी निष्ठा की पहचान?”
