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राहुल गांधी का बड़ा हमला: “वोट चोरी कर बनी मोदी सरकार, युवाओं की नहीं परवाह”

25 अगस्त 2025: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर पुलिस के कथित बल प्रयोग की सोमवार को निंदा करते हुए इसे शर्मनाक करार दिया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार को देश के युवाओं की चिंता नहीं है क्योंकि वह वोट चुराकर सत्ता में आई है। परीक्षा के बेहतर संचालन की मांग को लेकर एसएससी के छात्रों और शिक्षकों ने रविवार को रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन किया। हालाँकि, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज करने के विपक्षी दलों के दावों का खंडन किया है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे एसएससी अभ्यर्थियों और शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज शर्मनाक ही नहीं, बल्कि एक डरपोक सरकार की पहचान है।” उन्होंने कहा, “युवाओं ने सिर्फ़ अपना हक़ मांगा था – रोज़गार और न्याय। मिली क्या? लाठियां।” राहुल गांधी ने आरोप लगाया, “साफ़ है कि मोदी सरकार को न देश के युवाओं की चिंता है, न उनके भविष्य की। हो भी क्यों? यह सरकार जनता के वोटों से नहीं, बल्कि वोट चुराकर सत्ता में आई है।”

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और दावा किया, “पहले वोट चुराएंगे, फिर परीक्षा चुराएंगे, फिर नौकरियां चुराएंगे, फिर आपका हक़ और आवाज़ – दोनों कुचल देंगे।” राहुल गांधी ने कहा, “युवाओं, किसानों, गरीबों, बहुजनों और अल्पसंख्यकों, आपका वोट इन्हें चाहिए ही नहीं, इसलिए आपकी मांगें कभी इनकी प्राथमिकता नहीं होंगी। अब वक्त है – डरने का नहीं, डटकर मुकाबला करने का।”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज में भर्ती प्रक्रियाओं और परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है। प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर रहे एसएससी छात्रों पर पुलिस बल प्रयोग अमानवीय और शर्मनाक है।”

उन्होंने दावा किया कि हर परीक्षा में धांधली, हर भर्ती में घोटाला और पेपर लीक से पूरे देश के युवा त्रस्त हैं तथा भाजपा राज में भर्ती प्रक्रियाओं और परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा, “उसे ठीक करने और युवाओं की बात सुनने की जगह उनपर लाठियां बरसाना दुर्भाग्यपूर्ण है। छात्रों पर क्रूरता बरतने के बजाय उनकी बात सुनी जानी चाहिए।”

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