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पंजाब में अध्यापकों के लिए नया आदेश जारी, एक पत्र से मची हलचल

लुधियाना 18 नवंबर 2025 : बेशक शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने अध्यापकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से छूट देने बारे मुख्य सचिव को पत्र जारी किया था लेकिन इसके बावजूद भी नगर निगम द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक आदेश ने सरकारी समेत निजी स्कूलों में हलचल मचा दी है। दरअसल निगम ने अब निजी स्कूलों को बाय नेम पत्र जारी करके उन अध्यापकों के नाम भेजने को कहा है जो आगामी जनगणना के कार्य में ड्यूटी करेंगे। सरकारी समेत निजी स्कूलों में जब निगम का यह पत्र पहुंचा तो सबसे पहले शिक्षा मंत्री बैंस की उक्त बारे शुरू की गई पहलकदमी पर ही सवाल खड़े होने लग गए। अध्यापकों और प्रिंसीपलों ने सवाल किया कि क्या नगर निगम शिक्षा मंत्री की मुहिम में रोड़ा बनने का प्रयास कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक अब तक जनगणना कार्य में सरकारी विभागों के कर्मचारी और सरकारी स्कूलों के अध्यापक शामिल किए जाते रहे हैं लेकिन इस बार की तैयारी कुछ अलग दिखाई दे रही है। नए आधिकारिक निर्देशों के अनुसार अब सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूलों के अध्यापकों से भी जनगणना ड्यूटी करवाने की तैयारी हो रही है। इस संबंधी निगम द्वारा बकायदा एक पत्र और विस्तृत प्रोफॉर्मा भी जारी किया गया है, जिसमें सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी स्कूलों से अध्यापकों का पूरा विवरण मांगा गया है। मांगी गई सूची में अध्यापक का नाम, स्कूल का नाम, पता और संपर्क नंबर जैसे विवरण शामिल हैं। आदेश में यह भी लिखा गया है कि सभी जोनल कमिश्नरों को सहायक जनगणना अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें अपने-अपने जोन में अध्यापकों की सूची तैयार कर रिपोर्ट भेजनी होगी।

विदेशी दौरे के समय क्यों याद नहीं आए निजी स्कूलों के टीचर्स?
हालांकि 
अधिकतर निजी स्कूल न तो अपने अध्यापकों को इस कार्य में भेजने को तैयार हैं और न ही इन स्कूलों के अध्यापक इस कार्य में लगने को तैयार हैं। उनका तर्क है कि यह कार्य सरकार का है और सरकार इसे निजी स्कूलों पर कैसे थोप सकती है। कई स्कूलों के प्रिंसीपलों ने तो तंज कसा कि जब सरकार ने सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को विदेश दौरे पर भेजा उस समय निजी स्कूलों के अध्यापक क्यों याद नहीं आए?

अब बच्चों को पढ़ाएं या घर-घर जाकर गिनती शुरू करें?
निजी
 स्कूलों के अध्यापक और प्रबंधन इस बात पर गंभीर आपत्ति जता रहे हैं कि शिक्षक शैक्षणिक कार्यों की रीढ़ हैं और उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में तैनात करना शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य से सीधा समझौता है। इस मुद्दे को लेकर अब विवाद और असंतोष खुलकर सामने आने लगा है, खासतौर पर तब जबकि बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं और अधिकांश कक्षाओं में प्री-बोर्ड, मॉडल टैस्ट और रिवीजन प्रोग्राम चल रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधन का स्पष्ट कहना है कि सरकारी कार्यालयों की तरह उनके पास कोई वैकल्पिक स्टाफिंग सिस्टम या बैकअप तंत्र नहीं है, जहाँ किसी कर्मचारी की गैर-हाजिरी पर कार्य को स्थानापन्न तरीके से प्रबंधित किया जा सके। उनका आरोप है कि सरकार निजी स्कूलों को शैक्षणिक संस्थान के बजाय श्रम संसाधन की तरह देख रही है, जबकि जनगणना जैसे कार्यों का दायित्व केवल उन्हीं कर्मचारियों पर होना चाहिए जो सरकारी तौर पर इस कार्य के लिए नियुक्त या प्रशिक्षित होते हैं। दूसरी तरफ अध्यापक यह तर्क दे रहे हैं कि कक्षा शिक्षण, मूल्यांकन, असाइनमैंट, परिणाम निर्माण, व्यक्तिगत सुधार सैशन और परीक्षा तैयारी उनकी मुख्य जिम्मेदारी है। ऐसे में उन्हें फील्ड सर्वे के काम में भेजना मानसिक दबाव, समय की कमी और विद्यार्थियों के प्रति अन्याय है। निजी स्कूलों के अध्यापक इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। उनका मानना है कि शिक्षा उनकी प्राइमरी ड्यूटी है, और सरकारी प्रशासनिक कार्यों के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई और परिणाम प्रभावित करना उचित नहीं है।

-एक निजी स्कूल के शिक्षक ने कहा हम शिक्षक हैं, प्रशासनिक कर्मी नहीं। बोर्ड परीक्षा से डेढ़-दो महीने पहले हमें पढ़ाई से हटाकर जनगणना के काम में लगाना बच्चों के हित में नहीं है। जनगणना कार्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा ही किया जाना चाहिए या सरकार को इसके लिए कोई अलग विभाग बनाना चाहिए। शिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहे हैं तो सरकार ऐसे युवाओं के लिए चुनावी और जनगणना जैसा विभाग बनाकर उनसे यह सब काम करवा सकती है। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से छूट मिलेगी।
-एक अन्य शिक्षक के अनुसार निजी स्कूल संसाधनों के आधार पर चलते हैं। हमारे पास असैसमैंट, क्लासरूम मैनेजमैंट और प्रैक्टिकल तैयारी का पीक सीजन चल रहा है। यदि शिक्षक बाहर भेजे गए तो शिक्षा बाधित होगी। यह जिम्मेदारी केवल सरकारी स्टाफ की होनी चाहिए।”
-एक प्रिंसीपल ने कहा हमारा उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। ऐसे समय में जब पूरा सत्र अंतिम चरण पर है, अध्यापकों की अनुपस्थिति बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगी।
एक और प्रिंसिपल के अनुसार शिक्षक स्टाफ कोई एक्स्ट्रा या रिजर्व यूनिट नहीं है। यदि उन्हें बाहर भेजा जाएगा तो हमारा अकादमिक कैलेंडर और बोर्ड प्रिपरेशन शैड्यूल बुरी तरह प्रभावित होगा।

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