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मानसिक बीमारी से जूझते प्रभुजी को 6 साल बाद अंधेरी कोठरी से मिली मुक्ति

22 सितंबर 2025 : अहिल्यानगर में एक 35 वर्षीय उच्चशिक्षित युवक प्रभुजी (ईश्वर स्वरूप मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति) को उसके ही परिवार ने लगभग छह साल पहले एक छोटी, अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया था। हाल ही में स्नेहश्रद्धा परियोजना की टीम ने उसे इस नरक जैसी यातना से मुक्त किया और नई ज़िंदगी दी। इस हादसे ने देश का ध्यान ग्रामीण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और मनोरुग्णों की दुर्दशा की ओर आकर्षित किया।

निवृत्त पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण हंडाळ ने मानसग्राम के मानसिक स्वास्थ्य उपक्रम स्नेहश्रद्धा परियोजना को प्रभुजी की स्थिति की जानकारी दी। परियोजना के मानद निदेशक और मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. नीरज करंदीकर के मार्गदर्शन में प्रभुजी के लिए एक मुक्तीयोजना बनाई गई। जब टीम हंडाळवाड़ी पहुंची, तो देखा कि लगभग 70 वर्ग फुट के अंधेरी कोठरी में प्रभुजी को छोटे छिद्रों से ही भोजन और पानी दिया जाता रहा था। दरवाज़े पर बड़े ताले थे और खिड़की भी नहीं थी। बाहर की रोशनी, हवा और प्राकृतिक वातावरण से प्रभुजी पूरी तरह कट गया था।

कोठरी में छह साल तक प्रभुजी का कोई भी संपर्क परिवार या मित्रों से नहीं हुआ। वहां कोई बिजली, फैन, शौचालय या बिस्तर नहीं था। प्रभुजी नग्न और मलमूत्र में लिपटा पड़ा था, उसके शरीर पर केंचुए और गंदगी जम चुकी थी। टीम ने दरवाज़े का ताला तोड़कर उसे बाहर निकाला। बाहर आने के बाद प्रभुजी ने हाथ जोड़कर आकाश की ओर देखा और परमेश्वर का धन्यवाद किया।

प्रभुजी का शैक्षिक और मानसिक स्वास्थ्य इतिहास
प्रभुजी बचपन से ही बेहद होशियार था और उसने बीएससी तक शिक्षा पूरी की थी। लेकिन मानसिक बीमारी और कुटुंब की आर्थिक कठिनाइयों के कारण उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया। पहले उसे येरवडा (पुणे) के प्रादेशिक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में रखा गया, लेकिन नियमों के तहत उसे परिवार के पास लौटाया गया। मानसिक बीमारी के बढ़ने पर परिवार ने उसे छह साल पहले इस अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया।

स्नेहश्रद्धा परियोजना और पुनर्वास
प्रभुजी को रविवार को स्नेहालय संस्थान के अहिल्यानगर स्थित मानसग्राम पुनर्वसन केंद्र में लाया गया, जहां उसे पूरी तरह से इलाज और कौटुंबिक पुनर्वास मिलेगा। इस काम में डॉ. दीप्ती करंदीकर, सोनाली साळवे, सोनू शहा, अमेय पुंड, गणेश धारकर, भारत तिडके, समीक्षा पवार, निकिता उंडे, वेणू आंग्रे, परी सूर्यवंशी और परियोजना प्रबंधक रमाकांत डोड्डी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्नेहश्रद्धा परियोजना का प्रभाव
रैमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त डॉ. भरत वटवानी के मार्गदर्शन में स्नेहालय ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम शुरू किया। 2020 से करंदीकर मानसोपचार अस्पताल के सहयोग से स्नेहश्रद्धा परियोजना में बेघर और मनोरुग्ण व्यक्तियों को उपचार और कौटुंबिक पुनर्वास प्रदान किया जा रहा है। अब तक लगभग 700 मनोरुग्णों का जीवन इस परियोजना के माध्यम से बदला गया है, और उन्हें परिवार के साथ पुनर्मिलन का अवसर मिला है। नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी इस परियोजना के माध्यम से मरीजों का पुनर्वास किया गया है।

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