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पर्यावरण की दादी पद्मश्री सालूमरदा थिमक्का नहीं रहीं, 114 की उम्र में निधन

बेंगलुरु 15 नवंबर 2025 : पद्मश्री से सम्मानित और पर्यावरणविद् ‘सालूमरदा’ थिमक्का का शुक्रवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। पारिवार के सदस्यों ने बताया कि 114 वर्षीय थिमक्का काफी समय से बीमार थीं और अस्पताल में भर्ती थीं, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। तीस जून, 1911 को जन्मीं थिमक्का को बेंगलुरु दक्षिण जिला मुख्यालय रामनगर में हुलिकल व कुदुर के बीच 4.5 किलोमीटर के क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाने के लिए ‘सालूमरदा’ (वृक्ष माता) की उपाधि दी गई। बिना किसी औपचारिक शिक्षा के थिमक्का ने पौधारोपण अभियान शुरू किया। 

वह पेड़ों को अपने बच्चों की तरह मानती थीं, ताकि जीवन में निःसंतानता के कारण आए खालीपन को भर सकें। अपने काम के लिए उन्हें 12 पुरस्कार मिले। उन्हें पद्मश्री (2019), हम्पी विश्वविद्यालय द्वारा दिए जाने वाले नादोजा पुरस्कार (2010), राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार (1995) और इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार (1997) से सम्मानित किया गया। 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने थिमक्का के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिवार ने उनके अंतिम संस्कार के लिए दो या तीन स्थान चुने हैं और जल्द ही स्थल के बारे में निर्णय लिया जाएगा। 

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शोक संदेश में कहा, “सालूमरदा थिमक्का के निधन की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। थिमक्का ने हजारों पेड़ लगाए और उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।” 

उन्होंने कहा कि भले ही थिमक्का का निधन हो गया हो, लेकिन पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें अमर बना दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, उनके पुत्र व केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, कर्नाटक के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और कई राजनीतिक नेताओं ने थिमक्का के निधन पर शोक व्यक्त किया।

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