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ओ तेरी! 1200 से 1500 रुपये तक पहुंच सकता है LPG गैस सिलेंडर, बढ़ी लोगों की चिंता

अमृतसर 16 दिसंबर 2025 एक तरफ जहां सर्दी का मौसम शुरू होते ही घरेलू गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी शिखर पर हो जाती है तो वहीं दूसरी तरफ अमृतसर जिले की कुछ गैस एजेंसियां के.वाई.सी. के नाम पर उपभोक्ताओं से 200 रुपए की जबरन वसूली कर रही है।

हालांकि सरकार की तरफ से के.वाई.सी. करने के मामले में किसी भी तरह की कोई फीस निर्धारित नहीं की गई है और के.वाई.सी. बिल्कुल फ्री है। उपभोक्ताओं को गैस एजैंसी के दफ्तर में जाकर के.वाई.सी. करनी होती है लेकिन कुछ गैस एजैंसियों ने जनता को लूटने का मन बनाया हुआ है और कालाबाजारी करने के साथ-साथ जनता को दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की बात करें तो पिछले लंबे समय से घरेलू गैस-सिलैंडरों की कालाबाजारी को रोकने और गैस एजैंसियों की मनमानियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस संबंध में डी.एफ.एस.ओ. महेन्द्र अरोड़ा का कहना कि मामले की जांच करवाई जाएगी, लोगों को विभाग में आकर संबंधित गैस एजैंसियों की शिकायत जरूर करनी चाहिए, ताकि कानूनी कार्रवाई की जा सके।

400 से सिमट कर 28 रुपए हुई सब्सिडी
घरेलू गैस सिलैंडरों पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी की बात करें तो किसी जमाने में 400 से लेकर 450 रुपए तक प्रति सिलैंडर सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन मौजूदा समय में यह सब्सिडी सिमटकर कर सिर्फ 28 रुपए ही रह गई है और उसका भी पता नहीं चलता है कि उपभोक्ताओं के बैंक अकाऊंट में आ रही है या नहीं आ रही है। इसकी भी जांच करवाई जाए तो एक बड़ा घपला सामने आने की पूरी संभावना है, क्योंकि ज्यादातर लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि किस खाते में घरेलू सिलैंडर की सब्सिडी आई है। इस संबंध में बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि 28 रुपए की सब्सिडी भी को भी बंद कर दिया जाना चाहिए और अति गरीब लोगों को फ्री में सिलैंडर दिए जाने चाहिए, लेकिन इस गड़बड़ झाले में कुछ गैस एजैंसी मालिकों ने करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी बना ली है और जमकर जनता का शोषण कर रहे हैं।

डिलीवरी मैन को वेतन देने के बजाए किया जाता है ठेका
गैस एजैंसियों की मनमानी की बात करें तो कुछ गैस एजैंसियां ऐसी है, जो अपने डिलीवरी मैन को वेतन तक नहीं देती हैं और सिलैंडरों का ठेका करती हैं। एक डिलीवरी मैन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रोजाना गैस एजैंसी से 30 सिलैंडर मिलते हैं और सिलैंडरों को ले जाने के लिए गाड़ी भी अपनी रखी हुई है, जिसमें प्रति सिलैंडर 200 से 300 रुपए की ब्लैक की कमाई होती है। अपने साथ एक हैल्पर भी रखा हुआ है और रोजाना 1000 रुपए का खर्च आता है। सारा कुछ ब्लैक की कमाई पर ही निर्भर करता है। यदि एजैंसी उनको सही प्रकार से वेतन दें तो ब्लैक करने की क्या जरूरत है। डिलीवरी मैन ने बताया कि होम डिलीवरी करने पर 30 रुपए से लेकर 50 रुपए या इससे ज्यादा भी वसूली की जाती है, जबकि होम डिलीवरी बिल्कुल फ्री है। ऐसा एजैंसी मालिकों के कहने पर ही किया जाता है।

ढाबो से लेकर रेहड़ियो में की जाती है सप्लाई
घरेलू गैस सिलैंडरों की कालाबाजारी की बात करें तो महानगर के बड़े-बड़े ढाबो से लेकर छोटी-छोटी रेहड़ियो तक में घरेलू गैस सिलैंडर की सप्लाई की जाती है और जो सिलैंडर मौजूदा समय में 954 का है वह 1200 से लेकर 1300 रुपए तक में ब्लैक किया जाता है। खाने पीने की वस्तुए बेचने वाली रेहडियों से लेकर कुछ बड़े होटलों में भी घरेलू गैस सिलैंडर का दुरुपयोग किया जाता है। इस संबंध में जिला खुराक सप्लाई कंट्रोलर अमनजीत सिंह संधू का कहना है कि बड़े स्तर पर कार्रवाई की जाएगी।

के.वाई.सी. करने के लिए कोई फीस नहीं
के.वाई.सी. के लिए उपभोक्ताओं से की जा रही वसूली के संबंध में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के जिला सेल्स मैनेजर यश पाठक का कहना है कि के.वाई.सी. के लिए सरकार की तरफ से कोई भी फीस नहीं रखी गई है, यह बिल्कुल फ्री है। सुरक्षा पाइप के लिए जो 5 साल बाद बदली जाती है उसके लिए जरूर 190 रुपए निर्धारित किए हुए हैं, वह भी उपभोक्ता की अपनी मर्जी पर डिपैंड रहता है। आम घरेलू सिलेंडर पर सरकार की तरफ से 28 रुपए सब्सिडी चल रही है, जबकि उज्ज्वला योजना के तहत 350 रुपए की सब्सिडी गरीब परिवारों को मिल रही है। यदि उपभोक्ताओं को किसी भी गैस एजेंसी की मनमानी के खिलाफ शिकायत है तो वह सीधा उनके दफ्तर में आकर शिकायत कर सकते हैं।

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