मुंबई 29 नवंबर 2025 : राज्य की राजधानी मुंबई की हवा अभी भी असुरक्षित साबित हुई है। ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ के विश्लेषण के अनुसार, 2015 से 2025 के पिछले 10 वर्षों में देश के किसी भी शहर की वायु गुणवत्ता मानकों के अनुसार सुरक्षित नहीं रही। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों का औसत इंडेक्स मध्यम श्रेणी में रहा, लेकिन निर्धारित मानकों से अधिक रहा। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सर्दियों के दौरान प्रदूषण गंभीर रूप ले लेता है, और न्यायालयीन हस्तक्षेप के बावजूद इस समस्या की गंभीरता कम नहीं हुई। इससे स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण के लिहाज से कोई भी शहर पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
दिल्ली में 2016 में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 था, जो नवंबर 2025 तक 180 तक गिर गया। कार्बन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण और भौगोलिक स्थिति दिल्ली के प्रदूषण को प्रभावित करती हैं। लखनऊ, वाराणसी, अहमदाबाद और पुणे में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसमें लखनऊ और वाराणसी का इंडेक्स ‘खराब’ श्रेणी (200 से ऊपर) में है। इसके विपरीत, मुंबई का इंडेक्स मध्यम श्रेणी में रहा।
कोलकाता और चेन्नई जैसे दक्षिणी शहरों में प्रदूषण उत्तर के शहरों की तुलना में कम है, फिर भी वहां की हवा सुरक्षित नहीं मानी जाती। 2020 के बाद मुंबई और चेन्नई की वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया, जिसका कारण ईंधन की गुणवत्ता में सुधार और औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण माना गया।
बेंगलुरु शहर में सबसे कम प्रदूषण दर्ज किया गया, जहां AQI 65 से 90 के बीच रहा। लेकिन यह स्तर भी कभी-कभी मानकों से अधिक था, जिससे बेंगलुरु भी प्रदूषण से पूरी तरह नहीं निपट पाया।
