11 दिसंबर 2025 : मुंबई-पुणे द्रुतगती मार्ग पर बनने वाला केबल-स्टेड ब्रिज दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय लगभग 45 मिनट घटा देगा। यह पुल जमीन से 182 मीटर ऊँचा है, जो लगभग 60 मंजिला इमारत के बराबर है।
सह्याद्री घाट के गहरे क्षेत्रों में कई वर्षों से इस पुल का निर्माण चल रहा है। सैकड़ों कामगार अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल के निर्माण में लगे हैं। यह महाराष्ट्र का सबसे ऊँचा केबल-स्टेड पुल है और 6,690 करोड़ रुपये के ‘मिसिंग लिंक’ प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
MSRDC के संयुक्त प्रबंधकीय निदेशक राजेश पाटील ने बताया, “काम चुनौतीपूर्ण था, खासकर इतने ऊँचाई पर कामगारों को ले जाना। हमारी टीम ने कड़ी मेहनत की और यह टप्पा पूरा किया। जल्द ही हम इसे जनता के लिए खोलेंगे।”
कब होगा पूरा काम?
650 मीटर लंबाई वाले इस पुल का 95% काम पूरा हो चुका है और शेष काम अगले 2-3 महीनों में पूरा होगा। इस हिसाब से 2019 में शुरू हुए मिसिंग लिंक प्रोजेक्ट के अप्रैल 2026 तक खुले रहने की संभावना है। यह प्रोजेक्ट पूरा होते ही पुणे से मुंबई आने वाले यात्रियों को घाट मार्ग की भीड़ और ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।
मिसिंग लिंक प्रोजेक्ट का महत्व
मुंबई-पुणे द्रुतगति एक्सप्रेसवे देश का पहला एक्सप्रेसवे है। इसके निर्माण के समय 13 किमी लंबी ‘मिसिंग लिंक’ की योजना बनाई गई थी, जो घाट मार्ग के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करेगी। वांद्रे-वरळी सी-लिंक और मुख्य एक्सप्रेसवे बनाने वाली MSRDC को इसकी जिम्मेदारी दी गई।
सह्याद्री घाट का यह 19 किमी लंबा हिस्सा मोड़ और ढलानों से भरा है, जिससे वाहनों की गति धीमी रहती है और भारी वाहन होने पर 5 किमी तक जाम लगना आम बात है। मिसिंग लिंक प्रोजेक्ट से मुंबई–पुणे यात्रा में 30-45 मिनट की बचत होगी। यह आठ लेन का प्रोजेक्ट है, जिसमें प्रत्येक तरफ चार लेन होंगी, और इसमें दो पुल (एक केबल-स्टेड ब्रिज), दो बोगड़े और दो वायडक्ट शामिल हैं।
