• Fri. Dec 5th, 2025

चीन पर निर्भरता कम करने को मोदी कैबिनेट की 7,280 करोड़ की योजना को मंजूरी

नई दिल्ली 27 नवंबर 2025 : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भू-रणनीतिक द्दष्टि से एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत रेयर अर्थ मैगनेट के विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ 7,280 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की सात वर्षीय योजना को मंजूरी दी। इसके तहत देश में आगामी चार-पांच वर्ष में कम से कम छह हजार टन सिंटर्ड रेयर अर्थ मैगनेट के विनिर्माण की पांच इकाइयों की स्थापना की जाएगी। उनकी क्षमता 1,200-1,200 टन वार्षिक की होगी। सिंटरिंग प्रक्रिया में धातु कड़ों (चूर्ण) को बिना गलाये हुए उच्च दाब और ऊष्मा के सहारे आपस में जोड़ा जाता है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृत सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैगनेट विनिर्माण संवर्धन योजना (आरईपीएम) की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण, रेलवे और सूचना प्रौद्योगिकी एवं इेलेक्ट्रॉनिक्स विभागों के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना को भू-राजनीतिक द्दष्टि से एक अहम फैसला बताया। 

उन्होंने कहा कि देश में सेमीकंडक्टर, विद्युत वाहन, अंतरिक्ष उद्योग, सेमीकंडक्टर तथा रक्षा साजो-सामान के विनिर्माण के लिए रेयर अर्थ मैगनेट एक महत्वपूर्ण घटक हैं। चीन रेयर अर्थ मैगनेट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है और हाल में उसने इसके निर्यात पर पाबंदी लगाकर वैश्विक विनिर्माण श्रृंखलाओं को प्रभावित कर दिया था। भारत इस समय रेयर अर्थ मैगनेट के लिए जापान, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से इसका आयात करता है।

वैष्णव ने कहा कि इस निर्णय से भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा। उन्होंने बताया कि 7,280 करोड़ रुपये की इस योजना के अंतर्गत लगाई जाने वाली इकाइयों को पूंजीगत सब्सिडी और उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन-दोनों तरह की सहायता देने का विचार है। इकाइयों को कुल छह हजार टन रेयर अर्थ मैगनेट के विनिर्माण के लिए सहायता दी जायेगी और उम्मीद है कि वे इससे अधिक क्षमता की सुविधा स्थापित करेंगी। 

वैष्णव के अनुसार, भारत में इस समय रेयर अर्थ मैगनेट की मांग सालाना चार-पांच हजार टन की है। इसमें आने वाले वर्षों में और वृद्धि होने और 2030 तक इसके दोगुना हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि योजना को खान, इलेक्ट्रॉनिक्स, भारी उद्योग और अन्य सभी विभागों के साथ मिल कर सरकारी विभागों के पूरे समन्वय के साथ कार्यान्वित किया जाएगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंटर मिशन की कुछ प्रौद्योगिकियों का भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर संभावित निवेशकों के साथ अब तक हुई बैठकों में भारी उत्साह दिखा है। योजना में ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों से सहयोग मिलने की संभावना है। 

एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस योजना के तहत पांच साल के लिए निर्धारित 7,280 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय प्रोत्साहन में 6,450 करोड़ रुपये बिक्री से जुड़े प्रोत्साहन के रूप में तथा 750 करोड़ रुपये पूंजीगत सहायता के रूप में दिये जाएंगे। यह योजना सात साल के लिए है। इसमें पहले दो साल परियोजना की स्थापना के लिए होंगे। श्री वैष्णव ने कहा कि भारत में 69 लाख टन रेयर अर्थ का ज्ञात भंडार है जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *