कैथल/गुहला-चीका 19 जनवरी 2025 : कृषि विभाग की तरफ से चलाई जा रही मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना के तहत फर्जी पंजीकरण करवाकर सरकार से लाखों रूप की ठगी करने का मामला सामने आया है। गांव दुब्बल निवासी रोहताश पुत्र मियां सिंह की शिकायत पर गांव बोपुर निवासी धर्मबीर, मनजिंद्र सिंह और गांव बदसूई के पूर्व सरपंच आढ़ती राजेश कुमार के विरुद्ध थाना चीका में केस दर्ज किया गया है।
शिकायत में रोहताश ने बताया कि उसकी और उसके परिजन की गांव दुब्बल में करीब 5 एकड़ जमीन है। आरोपियों ने उसकी गांव दुब्बल व बालू गांव की करीब 50 एकड़ भूमि का फर्जी तरीके से पंजीकरण अपने नाम करवाया हुआ है। फर्जी किसान आई.डी. भी बनवाई हुई है। यह जमीन गांव दुब्बल और बालू के किसानों की है, जबकि आरोपी किसान नहीं है। हर 6 महीने में किसान मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का पंजीकरण करते हैं। सरकार की तरफ से जो 2000 रुपए प्रति एकड़ की किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है, वह जमीन के असली मालिक को न मिलकर फर्जी पंजीकरण करवाने वालों को मिल रही हैं। इसके अलावा कृषि से संबंधित जो पैसा आता है, वह भी आरोपियों के खाते में जा रहा है। जब वह वर्ष 2024 में पोर्टल पर पंजीकरण करवाने गया तो उसे जानकारी मिली कि उसकी जमीन पर आरोपियों ने पहले ही पंजीकरण करवाया हुआ है।
दूसरे राज्यों से सस्ता अनाज लाकर सरकार को बेच रहे
रोहताश ने बताया कि यह बड़ा गिरोह है जो पंजाब और दूसरे राज्यों से मोटा धान सस्ते दामों पर खरीद कर मुनाफा कमा रहा हैं, क्योंकि आरोपी दूसरे राज्यों से सस्ते रेटों पर अनाज लाकर हरियाणा सरकार को एम.एस.पी. के रेटों पर बेच देते हैं, जिससे सरकार को भी करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है। जब उसे पता चला कि उसकी जमीन का रजिस्ट्रेशन किसी और के नाम है तो उसने आरोपियों से संपर्क कर पंजीकरण कटवाने के लिए कहा तो आरोपी उसे ही धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि उनकी ऊंची राजनीतिक पहुंच है। इस बारे में वह कृषि विभाग के अधिकारियों से भी मिल चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। इसके बाद उसने मामले की शिकायत डी.सी. कैथल, एस.पी. कैथल, डी.डी.ए. कैथल, डी.जी.पी. हरियाणा को भेजी। उसकी शिकायत कलायत डी.एस.पी. को भेजी गई थी। डी.एस.पी. ने मामले की जांच करते हुए आरोप सही पाए तो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा था। अब चीका थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच एस.आई. विजेंद्र सिंह को सौंप दी है।
सी.एस.सी. सैंटर संचालकों की भी संलिप्तता
इस मामले में सी.एस.सी. सैंटर संचालकों की संलिप्तता भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि किसान मेरी फसल-मेरा ब्यौरा की जानकारी सी.एस.सी. सैंटर के माध्यम से करवाते हैं और रजिस्ट्रेशन के हिसाब से ही सरकार फसलों की खरीदारी करते हैं। इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन होने के बाद किसानों को सरकार की योजना का लाभ मिल पाता है। अगर फसल का रजिस्ट्रेशन किसी और के नाम होगा तो असली पात्र सरकार की योजनाओं से वंचित रह जाता है। शिकायतकर्त्ता रोहताश ने बताया कि इस धोखाधड़ी में आढ़ती, शैलर मालिक व सी.एच.सी. सैंटर संचालक भी शामिल हैं, जो कुछ पैसों के लालच में आकर बिना जरूरी कागजातों के ही जमीन की किसी के नाम भी रजिस्ट्रेशन कर देते हैं।
अलग से विभागीय जांच शुरू
शिकायतकर्त्ता रोहताश ने बताया कि उसने इस फ्रॉड की शिकायत प्रधानमंत्री को भेजी थी। पी.एम. कार्यालय से जांच सी.टी.एम. को भेजी गई है। सी.टी.एम. ने अलग से विभागीय जांच के लिए डी.डी.ए. कैथल को बोला है।
अनिल विज के सामने भी आया था मामला
करीब एक महीन पहले जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में भी एक किसान ने उसकी जमीन का पंजीकरण किसी और के नाम करने की शिकायत दी थी, जिस पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए कहा था।
