10 अगस्त 2025: महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना के 26 लाख से ज्यादा संदिग्ध लाभार्थियों की जांच का आदेश दिया है. महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि यह कदम अपात्र लोगों द्वारा योजना का लाभ लेने की आशंका के चलते उठाया गया है.
जिला प्रशासन को लाभार्थियों के आवेदनों और पात्रता का भौतिक सत्यापन (Physical verification) करने का निर्देश दिया गया है, जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जांच की जिम्मेदारी दी गई है.
क्या है नियम और क्या है उल्लंघन?
अधिकारियों के मुताबिक, योजना के तहत प्रति परिवार 21 से 65 साल की केवल दो महिलाओं को ही 1,500 रुपये मासिक सहायता मिलनी चाहिए, लेकिन कई मामलों में 3 या अधिक महिलाओं, या पात्र आयु वर्ग से बाहर की महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है.
आयु सीमा उल्लंघन: पात्र आयु वर्ग से बाहर पाई जाने वाली महिलाओं को तुरंत अयोग्य घोषित किया जाएगा. परिवार सीमा उल्लंघन: 2 से अधिक लाभार्थियों वाले परिवारों में केवल दो को ही योजना का लाभ मिलेगा. दस्तावेज और संपत्ति जांच: फर्जी कागजात, झूठे निवास प्रमाणपत्र और चार पहिया वाहन स्वामित्व की भी समीक्षा होगी.
अधिकारियों ने बताया कि पहले की जांच में 14,000 पुरुषों को भी 10 महीने तक योजना का लाभ लेते पाया गया था, जिससे 21 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हुआ. इसके अलावा, 2,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने भी अनुचित रूप से इस योजना का लाभ उठाया.
जिलों में कार्रवाई और मौजूदा स्थिति
महिला एवं बाल विकास विभाग ने संदिग्ध लाभार्थियों की एक विस्तृत सूची तैयार की है और कई जिलों में जांच शुरू हो चुकी है. उदाहरण के तौर पर, जालना जिले में लगभग 70,000 लाभार्थियों की पात्रता की जांच की जा रही है. विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद, पात्र लाभार्थियों को योजना के तहत सहायता मिलती रहेगी, जबकि अपात्र लोगों के नाम तुरंत हटाए जाएंगे.
अधिकारियों का मानना है कि यह कदम योजना की पारदर्शिता और वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित होगा. इस प्रक्रिया में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्थानीय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की संयुक्त टीम लगाई गई है, जो तय मानदंडों के आधार पर घर-घर जाकर सत्यापन कर रही है.
लाडकी बहिन योजना का मुख्य उद्देश्य
मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है. लेकिन अपात्र लाभार्थियों की बड़ी संख्या सामने आने से योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. राज्य सरकार का कहना है कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के दुरुपयोग की संभावना कम की जा सके.
