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Mahakal Mandir: मध्य प्रदेश के मुख्य मंदिर में चुनावी राजनीति की उमड़ेगी हाजिरी

Mahakal Mandir ki Kahani 9 जनवरी 2025 : मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक दिया गया है. इसी के साथ राजनीतिक गलियारों से निकलकर नेताओं का मंदिरों में चुनावी हाजिरी का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. बता दें कि राज्य में 17 नवंबर को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 (Madhya Pradesh Vidhan Sabha Election 2023) के तहत मतदान होगा. पार्टियां प्रचार में तो जोर-शोर से लगी ही हैं, साथ ही भगवान के आगे झोली फैलाने में भी कोई कसर नहीं छूट रही है.

इन सबमें उज्जैन के महाराज भगवान महाकालेश्वर के पास सबसे अधिक हाजिरी लगाई जाती है. शास्त्रों में भगवान महाकाल ज्योतिर्लिंग के महत्व को विस्तार से बताया गया है. साथ ही यह भी बताया है कि सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग में बाबा महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए जानते हैं महाकाल मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और यहां क्यों की जाती है भस्म आरती.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा

शिव पुराण में महाकालेश्वर महादेव के कथा को विस्तार से बताया गया है. कथा के अनुसार, अवंती साम्राज्य में भगवान शिव के अनेक भक्त वास करते थे. यहां सभी लोग हर समय भगवान शिव की आस्था में लीन रहते थे. इसलिए भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत लगाव रखते थे. लेकिन दूषण नामक दैत्य ने ब्रह्मा जी प्रसन्न करके असीम शक्ति प्राप्त की और सभी ओर अपना अत्याचार फैलाना शुरू कर दिया. दैत्य दूषण ने सभी को यह आदेश दिया कि कोई भी भगवान की उपासना नहीं करेगा, अन्यथा उन्हें उसके प्रकोप का सामना करना पड़ेगा.

दूषण के इस अत्याचार से परेशान होकर सभी ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की. भगवान शिव भी अपने भक्तों पर यह अत्याचार नहीं सह पाए. उन्होंने सबसे पहले दूषण को यह चेतावनी दी कि वह यह स्थान छोड़कर चला जाए. लेकिन अहंकार में चूर दूषण ने महादेव की चेतावनी को अनदेखा कर दिया. तब अंत में देवाधिदेव महादेव, धरती चीर कर महाकाल रूप में प्रकट हुए और एक ही हुंकार में दूषन को भस्म कर दिया. महाकालेश्वर भगवान ने दैत्य का वध करने के बाद उस भस्म से अपना श्रृंगार किया. इसके बाद सभी भक्तों ने महादेव से इसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की और तब भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए. माना जाता हुई है कि भस्म आरती की परंपरा तब से शुरू हुई. वर्तमान समय में प्रत्येक दिन भगवान शिव को निद्रा से जगाने के लिए सुबह 04 बजे भस्म आरती की जाती है.

महाकाल मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारी

  • भगवान महाकाल के दरबार में महादेव के समस्त परिवार के दर्शन होते हैं.
  • बताया जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव तीन अलग-अलग रूपों में विद्यमान हैं. सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर हैं, मध्य में ओम्कारेश्वर और सबसे नीचे महाकालेश्वर स्थित हैं.
  • इसके साथ महाकाल मंदिर के निकट 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर भी है. यहां माता सती की कोहनी गिरी थी.
  • माना यह भी जाता है कि महाकाल मंदिर के शिखर से ही कर्क रेखा पार करती है. जिस वजह से इस स्थान को पृथ्वी का नाभिस्थल भी कहा जाता है.

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