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Mahabharat: कौन थीं पूर्वजन्म में द्रौपदी, कैसे बनीं पांच पतियों की पत्नी? पढ़ें रोचक कथा

19 जून 2025 : महाभारत की सबसे खास और चर्चा में रहने वाली महिला पात्रों में द्रौपदी का नाम सबसे ऊपर आता है. द्रौपदी का जीवन जितना गौरवशाली था, उतना ही संघर्षों से भरा भी था. उन्हें पांच पतियों की पत्नी होने के कारण कई बार समाज की कड़वी बातें सुननी पड़ीं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि द्रौपदी को पांच पतियों की पत्नी बनने का कारण क्या था? क्या यह केवल एक गलती थी या फिर इसके पीछे कोई गहरा कारण छिपा था? दरअसल, इसका जवाब द्रौपदी के पूर्वजन्म में छिपा है. महाभारत के आदिपर्व में इसका उल्लेख मिलता है, जहां बताया गया है कि कैसे एक गरीब ब्राह्मणी की अधूरी इच्छाएं अगले जन्म में उसे द्रौपदी के रूप में जन्म लेने और पांच पतियों की पत्नी बनने की ओर ले गईं.

द्रौपदी का पूर्वजन्म और अधूरी इच्छाएं
महाभारत की कथा के अनुसार, द्रौपदी पिछले जन्म में एक गरीब ब्राह्मणी थीं. उनका जीवन बहुत कष्टों से भरा हुआ था. उनके पति हमेशा बीमार रहते थे और एक दिन उनकी मृत्यु हो गई. पति की मृत्यु के बाद उन्हें अकेले जीवन जीना पड़ा और समाज से अपमान और उपेक्षा मिली. रोजी-रोटी की समस्या, अकेलापन और सामाजिक तिरस्कार ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था. इस जीवन से परेशान होकर उन्होंने सोचा कि अगले जन्म में उन्हें ऐसा जीवन न मिले. वह चाहती थीं कि उनका पति न सिर्फ स्वस्थ हो, बल्कि उसमें वीरता, ज्ञान, सहनशीलता, धर्म और सौंदर्य जैसी सभी खूबियां हों. इन्हीं अधूरी इच्छाओं को लेकर उन्होंने भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी.

भगवान शिव से मिला वरदान
ब्राह्मणी ने कठोर तप किया और भगवान शिव को प्रसन्न किया. जब भगवान प्रकट हुए तो उन्होंने ब्राह्मणी से वर मांगने को कहा. ब्राह्मणी ने अपने पति में पांच अलग-अलग विशेषताएं मांगी- एक ऐसा पति जो सबसे शक्तिशाली हो, एक जो सबसे बुद्धिमान हो, एक जो सबसे सुंदर हो, एक जो सबसे धर्मनिष्ठ हो और एक जो सबसे सहनशील हो. भगवान शिव ने मुस्कराकर कहा कि ये सभी गुण एक ही व्यक्ति में नहीं हो सकते. लेकिन क्योंकि तुमने इन विशेषताओं को पांच बार मांगा है, इसलिए अगले जन्म में तुम्हें पांच अलग-अलग पतियों के रूप में यह गुण प्राप्त होंगे. ब्राह्मणी ने सहमति तो दी, लेकिन वह जान नहीं पाईं कि इसका अगला जन्म में क्या रूप होगा.

राजा द्रुपद की पुत्री के रूप में जन्म
अगले जन्म में वही ब्राह्मणी, राजा द्रुपद के यज्ञ से उत्पन्न होकर द्रौपदी बनीं. वह अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और आत्मसम्मान से भरी हुई थी. उनके स्वयंवर में शर्त रखी गई कि जो भी राजा या योद्धा पानी में घूमती मछली के प्रतिबिंब को देखकर उसकी आंख में बाण मारेगा, वही द्रौपदी का पति बनेगा. अर्जुन ने यह कार्य कर दिखाया और द्रौपदी को जीतकर घर ले आए.

कुंती की गलती और पांच पतियों की पत्नी बनीं द्रौपदी
अर्जुन जब द्रौपदी को लेकर घर पहुंचे तो उन्होंने अपनी मां कुंती को आवाज लगाकर कहा कि देखो मां, हम आपके लिए क्या लाए हैं. कुंती बिना देखे बोल पड़ीं-“जो लाए हो, उसे आपस में बांट लो.” जब उन्होंने देखा कि वह कोई वस्तु नहीं, बल्कि एक कन्या है, तो उन्हें अफसोस हुआ लेकिन शब्द वापस नहीं लिए जा सकते थे. उस समय व्यासजी वहां पहुंचे और उन्होंने द्रौपदी को उसके पूर्वजन्म की बात याद दिलाई. उन्होंने बताया कि यह सब पहले से तय था-पांचों पांडव, द्रौपदी के लिए वही पांच अलग-अलग गुणों वाले पति हैं जो उसने भगवान शिव से मांगे थे

इस तरह द्रौपदी ने नियति के फैसले को स्वीकार किया और पांचों पांडवों की पत्नी बन गईं. उन्होंने सभी के साथ बराबरी और आदर के रिश्ते बनाए और कभी भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटीं.

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