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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में ये 5 काम न करें, वरना पाप के भागी बन सकते हैं

15 जनवरी 2025 महाकुंभ मेला का शुभारंभ 13 जनवरी से हो चुका है. महाकुंभ मेले में शामिल होने के लिए देश और दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचे हैं. महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 25 फरवरी तक चलेगा. जो लोग महाकुंभ जा रहे हैं, उनको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. महाकुंभ अध्यात्म, स्नान, दान, पुण्य आदि से जुड़ा महा उत्सव है. इसके लिए कुछ नियम हैं, जिसका पालन सभी को करना चाहिए. इससे महाकुंभ का उद्देश्य सफल होगा. यदि आप महाकुंभ में इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो आपको पुण्य तो मिलेगी नहीं, उल्टे पाप के भागी बन जाएंगे. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि महाकुंभ में शामिल होने वाले लोगों को कौन से 5 काम नहीं करने चाहिए.

महाकुंभ में कौन से काम न करें?
1. महाकुंभ की पवित्रता को खंडित न करें
यदि कोई महाकुंभ में शामिल हो रहा है या होने वाला है तो उसे इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह कोई भी ऐसा काम न करे, जिससे महाकुंभ की पवित्रता खंडित हो, खराब हो. महाकुंभ में लोग कुछ समय के लिए ही सही सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाकर ईश्वर के सामिप्य का अनुभव करने जाते हैं.

2. आत्म संयम और पवित्र मन का होना जरूरी
महाकुंभ में जाने वाले लोगों के लिए आत्म संयम का नियम अपनाना जरूरी है. आप वहां पर मन की पवित्रता के साथ जाएंगे, तभी आपको उसका लाभ मिलेगा. मन में कोई मलीनता नहीं रहनी चाहिए. किसी के प्रति द्वेष, घृणा आदि न रखें. लोभ, चोरी, झूठ आदि जैसी नकारात्मकता से दूर रहें. आप किसी को अपशब्द न कहें.

3. धन हानि
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले में शामिल होने वाले लोगों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वजह से किसी को किसी भी प्रकार का धन हानि न हो. कुंभ में आपके लिए ही कई व्यवस्थाएं की गई हैं, आपको उसमें सहयोग करना चाहिए. कुंभ स्नान, दान और पुण्य का उत्सव है. आप अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य करें.

4. तामसिक वस्तुओं से परहेज
महाकुंभ मेले में सात्विक भोजन की व्यवस्था होती है. ऐसे में सभी से यही उम्मीद की जाती है कि वो सात्विक भोजन करेगा. तामसिक वस्तुओं जैसे लहसुन, प्याज, मांस, मदिर आदि का सेवन नहीं करेगा. मेला क्षेत्र में तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित और प्रतिबंधित होता है.

5. कुंभ स्नान में रखें सावधानी
जब आप स्नान करने जाएं तो विशेष सावधानी रखें. मां गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है. गंगा मोक्षदायिनी हैं. गंगा में डुबकी लगाते समय आप साबुन, शैंपू, डिटर्जेंट आदि का उपयोग न करें. इससे नदी की शुद्धता खराब होती है. नदी में अपने कपड़े न धोएं और न ही कुछ फेंकें. खुले स्थानों पर शौच और पेशाब न करें.

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