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17 मई 2025 : रविवार के दिन व्रत रखते हैं तो सूर्य पूजा के समय रविवार की व्रत कथा सुननी चाहिए. रविवार व्रत कथा सुनने से व्रत का महत्व पता चलता है और पूरा फल मिलता है. रविवार व्रत कथा में एक वृद्ध महिला के रविवार व्रत और सूर्य पूजा की महिमा के बारे में बताया गया है. जब आप रविवार का व्रत रखें तो सुबह में स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. पूजा के समय रविवार व्रत कथा सुनें. जो व्यक्ति रविवार व्रत करता है, उसके दुख मिटते हैं, धन धान्य से उसका घर भर जाता है. आइए जानते हैं रविवार व्रत की कथा के बारे में.

रविवार व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थी. वह हर महीने रविवार का व्रत करती और विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करती थी. वह व्रत के सभी नियमों का पालन करती थी. वह उपवास के दौरान पूरे दिन में केवल एक समय मीठा भोजन करती थी. सूर्य महाराज की कृपा से उसके सभी दुखों का नाश हो गया. उसका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया.

वह महिला हर रविवार के दिन घर की साफ-सफाई करती. इसके लिए वह गाय के गोबर से घर को लीपकर साफ रखती थी. रविवार व्रत का प्रभाव था कि वह और उसका पूरा परिवार सुखी था. व्रत वाले दिन वह पड़ोस के घर से गोबर लेकर आती थी. यह बात उसकी पड़ोसन को पता थी. एक दिन उसने रविवार को गाय को घर के अंदर बांध दिया. इस वजह से उस महिला को गोबर नहीं मिला. उसने रविवार व्रत रखा, लेकिन आंगन की सफाई गोबर से नहीं कर पायी. इस वजह से उसने सूर्य देव को भोग भी नहीं लगाया, स्वयं भी वह भूखी ही सो गई.

व्रत के अगले दिन यानि सोमवार की सुबह बुढ़िया देखा कि उसके आंगन में एक गाय बंधी है, जिसका एक बछड़ा भी है. यह देखकर वह खुश हो गई. उसने चारा लाया और गाय को खिलाया. चारा खाने के कुछ देर बाद गाय ने सोने का गोबर किया. तो पड़ोसन वहां पर थी. यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गई. उसके मन में लालच आई और उसने वह गोबर चुरा लिया. सोने वोले गोबर की जगह पर अपनी गाय का गोबर रख दिया. यह रोज होने लगा. सूरज उगता, उससे पहले गाय सोने का गोबर करती और पड़ोसन उसे चुरा लेती. ऐसा करके वह धनवान हो गई. इस बार से वह वृद्धि महिला अनजान थी.

एक दिन वृद्धि महिला ने हमेशा की तरह रविवार का व्रत रखा था, उसने पूजा की और व्रत की कथा सुनी. सूर्य देव की कृपा से तेज आंधी चली. इसको देखकर वृद्धि महिला ने गाय को आंगन में बांध दिया. गाय ने आंगन में ही सोने का गोबर किया, यह देख्से देखकर वृद्धि महिला आश्चर्यचकित हो गई. इसके बाद से वह गाय को आंगन में बांधने लगी. सोने के गोबर से वृद्धि महिला और उसका परिवार धनी हो गया.

जब पड़ोसन को सोने का गोबर नहीं मिला, तो वह वृद्धि महिला पर नाराज हो गई. उसने पति को राजा के पास शिकायत लेकर भेजा. उसके पति ने राजा को उस गाय के बारे में बताया, जो सोने का गोबर करती है. उसने राजा को सोने वाला गोबर भी दिखाया. यह देखकर राजा भी आश्चर्य में पड़ गया. उसने वृद्धि महिला की गाय को दरबार में बुलाया. अपने नौकरों से गाय की सेवा करने को कहा. चारा खाने के बाद गाय ने सोने का गोबर किया, यह देखकर राजा प्रसन्न हो गया.

गाय छिन जाने से वृद्धि महिला दुखी थी. उसने सूर्य देव से प्रार्थना की, हे देव! मेरी गाय मुझे वापस मिल जाए. उसकी मनोकामना की पूर्ति के लिए सूर्य देव राजा के सपने में आए और गाय वापस देने का आदेश दिया. अगर राजा ऐसा नहीं करेगा तो उसका सबकुछ बर्बाद हो जाएगा. अगली सुबह डर के मारे राजा ने वह गाय वृद्धि महिला को वापस कर दी. उससे गलती के लिए क्षमा भी मांगी.

जब राजा को पूरी सच्चाई पता चली तो उसने वृद्धि महिला की पड़ोसन और उसके पति दंड दिया. वृद्धि महिला के बताए अनुसार राजा और उसकी प्रजा ने रविवार का व्रत प्रारंभ कर दिया. सूर्य देव की कृपा से राजा और प्रजा धनवान हो गए. उनके कष्ट, रोग, दोष मिट गए. जो भी रविवार का व्रत रखेगा और सूर्य देव की पूजा करेगा, उसका भी घर धन और धान्य से भर जाएगा.

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