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दिवाली की सिर्फ 5 मिनट की खुशी बन सकती है जानलेवा

अमृतसर 19 अक्टूबर 2025 दीवाली नजदीक है, घरों की सजावट जोरों पर है। बाजारों में रंग-बिरंगी लाइटें व पटाखों की दुकानें सजी हुई हैं। त्यौहार खुशियों, भाईचारे और नई शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन हर साल जब पटाखों की आवाज गूंजती है तो उसके साथ हवा में जहरीले धुएं की चादर भी फैल जाती है।

प्रदूषण का स्तर बढ़ता दोगुना

विशेषज्ञों के अनुसार, पटाखों से निकलने वाला धुआं व रासायनिक कण हवा को तुरंत प्रदूषित कर देते हैं। अमृतसर में हर साल दीवाली के दिन हवा में प्रदूषण का स्तर सामान्य से दोगुणा या उससे भी अधिक हो जाता है। यह धुआं सांस की बीमारियों को बढ़ाता है, आंखों में जलन, गले में खराश व त्वचा रोगों को तेज करता है।

डॉक्टरों की चेतावनी : ‘पांच मिनट की खुशी, दिनों तक जहर’

चिकित्सकों का कहना है कि पटाखों की चमक सिर्फ पांच मिनट की खुशी देती है, लेकिन इसका धुआं कई दिनों तक हवा में बना रहता है। इसमें मौजूद सूक्ष्म जहरीले कण फेफड़ों और हृदय पर बुरा असर डालते हैं। बच्चे, बुजुर्ग व अस्थमा के मरीज इसके सबसे अधिक शिकार होते हैं। लगातार इसके संपर्क में रहने से फेफड़ों की क्षमता घटती है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है

ग्रीन दीवाली अपनाने की अपील

डॉक्टरों व पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपील की है कि इस साल लोग ‘ग्रीन दीवाली’ मनाएं, बिना धुएं वाले दीये, एल.ई.डी. लाइट्स व रंगीन सजावट से घरों को रोशन करें। इससे न केवल खुशियां दोगुनी होंगी, बल्कि वातावरण भी प्रदूषण मुक्त रहेगा।

जिला प्रशासन व समाज की जिम्मेदारी

हर साल त्यौहार की खुशियां इस धुएं की परत में धुंधली पड़ जाती हैं। ऐसे में प्रशासन को तय समय में ही पटाखे जलाने की अनुमति देनी चाहिए। वहीं स्कूल, समाजसेवी संस्थाएं और क्लब बच्चों को पर्यावरण-अनुकूल त्यौहार मनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

खुशियों के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी

यह समय है जब लोग समझें कि खुशियां धुएं में नहीं, रोशनी में छिपी हैं। इस दीवाली पर घर ही नहीं, सोच को भी रोशन करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। दीवाली सिर्फ खुशियां और रोशनी लाए, न कि धुएं की चादर।

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