26 अप्रैल 2025 : पृथ्वी लोक पर जो भी जीवन है, उसका अंत होना निश्चित है. जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है. यह हर कोई जानता है, लेकिन किसी अपने प्रिय व्यक्ति की मृत्यु होती है तो लोग शोक मनाते हैं और रोते हैं. इसका कारण उस व्यक्ति से विशेष जुड़ाव और मोह है. कोई अपने पिता के लिए रोता है, तो कोई मां के लिए, कोई भाई के लिए तो कोई अपनी बहन के लिए. कोई पत्नी के लिए रोता है तो कोई पति की मृत्यु पर रोता और बिलखता है. सवाल यह है कि किसी अपने प्रिय व्यक्ति की मृत्यु होने पर रोना सही है या गलत है? किसी की मृत्यु पर शोक मनाना चाहिए या नहीं? इस बारे में गरुड़ पुराण के प्रेतखंड में बताया गया है. प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी इस विषय पर लोगों को बताया है.
मृत्यु पर रोना है गलत
गरुड़ पुराण के प्रेतखंड के अनुसार, यदि आपके किसी अपने की मृत्यु होती है तो आपको रोना नहीं चाहिए. उस व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त हो, इसके उसके परिजनों को भगवान का स्मरण करना चाहिए. उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार, उस व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार करना चाहिए. यदि आप अपने प्रिय के मरने का शोक मनाते हैं और रोते हैं तो उस आत्मा को वे आंसू ही खाने पड़ते हैं, जो उसके प्रियजन शोक मनाते समय उसके लिए बहाते हैं.
किसी की मृत्यु पर कब रोना चाहिए?
गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी की मृत्यु होती है तो अंतिम संस्कार से पहले उस व्यक्ति के लिए रोना वर्जित बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार, जब शव का अंतिम संस्कर हो रहा होता है, दाह संस्कार के समय कपाल क्रिया की जाती है, इसमें बांस से शव के सिर को फोड़ा जाता है. उसके बाद उस व्यक्ति के लिए जोर-जोर से रोने का विधान है. यदि आप ऐसा करते हैं, तो उस व्यक्ति की आत्मा को सुख प्राप्त होता है.
मृतक के लिए शोक करना बहुत बड़ी गलती है: प्रेमानंद महाराज
संत प्रेमानंद महाराज ने भी बताया है कि जो व्यक्ति मर गया है, उसके लिए शोक करना बहुत बड़ी गलती है. जब आपको पता है कि यह शरीर पंचतत्वों से बना है और इसका विनाश होना है. जब पक्का है कि विनाश होना ही है तो उसके लिए शोक क्या करना. शोक किया तो यह आपकी गलती है. यह आपका अविवेक है.
उन्होंने बताया कि जब आप मृतक के लिए शोक करते हैं, रोते हैं तो उसके लिए जब पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध किया जाता है तो वे चीजें दैवीय माध्यम से उस आत्मा तक पहुंचती हैं. मृतक के लिए रोते समय जो आंसू, कफ आदि निकलता है, वह उस आत्मा को विवश होकर खाना पड़ता है. इस वजह से किसी भी व्यक्ति के मरने पर रोना नहीं चाहिए, शोक नहीं मनाना चाहिए.
खुशी-खुशी करें उसका अंतिम संस्कार
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि किसी अपने का निधन हो तो उसके लिए शोक न मनाएं. उसके लिए छाती न पीटें. आपका कर्तव्य है कि आप खुशी-खुशी उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दें.
