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भारत का त्योहार खर्च पाकिस्तान के रक्षा बजट से कई गुना अधिक, दिवाली में 5 लाख करोड़ का व्यापार

16 अक्टूबर 2025: भारत इस साल दिवाली के अवसर पर आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयों को छूने जा रहा है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की दिवाली सीजन में देशभर में करीब ₹5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान है  जो न केवल पाकिस्तान के पूरे रक्षा बजट से कई गुना बड़ा है, बल्कि नेपाल की वार्षिक GDP से भी अधिक है।

त्योहार बना आर्थिक शक्ति का प्रतीक

इस बार बाजारों में अभूतपूर्व रौनक देखने को मिल रही है। दिल्ली, मुंबई, सूरत, जयपुर, पटना और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में व्यापारियों ने रिकॉर्ड एडवांस बुकिंग की है। मिठाइयों और कपड़ों से लेकर गाड़ियों, सोने, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स तक हर सेक्टर में बिक्री का बूम देखने को मिल रहा है। CAIT का कहना है कि “इस दिवाली भारत का हर बाजार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना से दमक रहा है। उपभोक्ता अब पहले से ज्यादा स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।”

 पाकिस्तान और नेपाल से तुलना

  • पाकिस्तान ने अपने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 2,550 अरब पाकिस्तानी रुपये यानी लगभग ₹0.76 लाख करोड़ का रक्षा बजट तय किया है। तुलना करें तो भारत का दिवाली व्यापार इस राशि का लगभग छह गुना है।
  • वहीं, वर्ल्ड बैंक के मुताबिक नेपाल की कुल GDP लगभग ₹4 लाख करोड़ के बराबर है, यानी भारत की दिवाली की खरीदारी ही नेपाल की पूरी अर्थव्यवस्था से बड़ी साबित हो रही है।

अर्थव्यवस्था को मिलेगा जबरदस्त बूस्ट

CAIT का अनुमान है कि इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री में 30% तक की वृद्धि होगी। फ्लिपकार्ट, अमेज़न, मीशो और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने पहले से ही अब तक के सबसे बड़े फेस्टिव सेल अभियान की घोषणा की है। रिटेल सेक्टर विशेषज्ञों का मानना है कि यह सीजन देश की कैश फ्लो अर्थव्यवस्था को बड़ा बूस्ट देगा और लाखों अस्थायी रोजगार पैदा करेगा।

दिवाली: अर्थव्यवस्था की रौशनी

दिवाली अब केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह भारत की खपत आधारित अर्थव्यवस्था का इंजन बन चुका है। त्योहारों के मौसम में होने वाला व्यापार देश के GDP ग्रोथ में अहम योगदान देता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार दिवाली सीजन अकेले ही भारत की तिमाही आर्थिक वृद्धि दर में 0.5% तक की बढ़ोतरी कर सकता है। संक्षेप में, इस साल की दिवाली सिर्फ दीयों की नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक ताकत की जगमगाती मिसाल बनने जा रही है।

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