नई दिल्ली 24 जुलाई 2025 : मनी लॉन्ड्रिंग का मामला रद करने का निर्देश देने की मांग को लेकर हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने ईडी को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। वानी ने पीएमएलए मामले को रद करने की मांग करते हुए 2010 के एक ट्रायल कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें उन्हें 2005 के एक टेरर फंडिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
इसी आधार पर 2007 में मनी लाॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था। वानी ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में इस फैसले को बरकरार रखा था।
वानी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता एमएस खान ने कहा कि आपराधिक गतिविधियों से अपराध की आय अर्जित करने के आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि वानी के विरुद्ध मुकदमा लंबी अवधि से लंबित है।
यह भी कहा कि वानी और सह-आरोपी कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ जनवरी 2017 में आरोप तय किए गए थे, हालांकि, लगभग सात साल बीत जाने के बावजूद 33 में से केवल चार गवाहों से ही पूछताछ की गई है। वानी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 26 जुलाई 2017 को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था। शाह को 26 जुलाई 2017 को श्रीनगर से गिरफ्तार किया था।
दोनों के खिलाफ ईडी की कार्रवाई अगस्त 2005 के एक मामले से संबंधित थी, जिसमें दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने वानी नामक एक डीलर को गिरफ्तार किया था। इसमें दावा किया था कि उसने शाह को 2.25 करोड़ रुपये दिए थे।
वर्ष 2010 में दिल्ली की एक अदालत ने वानी को आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोपों से मुक्त कर दिया था, लेकिन उसे शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। ईडी ने शाह और वानी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था।
बताया गया कि वानी को 26 अगस्त 2005 को हवाला के माध्यम से प्राप्त 63 लाख रुपये और गोला-बारूद के एक बड़े जखीरे के साथ गिरफ्तार किया गया था।
