चित्रकूट 27 जनवरी 2025 : धर्म नगरी चित्रकूट में आज हम आप को एक ऐसे मंदिर के बताने जा रहे हैं, जहां हनुमान जी तोते के स्वरूप में विराजमान हैं. हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा शायद आपने कहीं नहीं देखी होगी. लेकिन चित्रकूट के इस मंदिर में यह प्रतिमा वास्तव में विराजमान है. तोते के स्वरूप में विराजमान हनुमान जी के दर्शन के लिए भक्त इस मंदिर में दूर-दूर से पहुंचते हैं और उनकी पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. माना जाता है कि हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो आज भी देश में भ्रमण करते हैं. ऐसा माना जाता है, जो कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से हनुमान जी की स्तुति करता है, उस पर बजरंगबली अपनी कृपा बरसाते हैं.
रामघाट में मौजूद है तोता मुखी हनुमान मंदिर
हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के रामघाट में स्थित तोता मुखी हनुमान मंदिर की, जहां तोते के स्वरूप में बजरंगबली इस मंदिर में विराजमान हैं. अगर इसके पीछे की कहानी की बात की जाए तो जब प्रभु श्री राम वनवास काल के दौरान चित्रकूट आए थे, तो तुलसीदास जी उनके दर्शन के लिए भी चित्रकूट आए थे. लेकिन तुलसीदास जी को श्री राम के दर्शन नहीं हो पा रहे थे. तभी तुलसीदास जी की परेशानियों को देखते हुए बजरंगबली तोते के स्वरूप में प्रकट होकर गोस्वामी तुलसीदास जी के पास पहुंचे थे और उनको प्रभु श्री राम के चित्रकूट के रामघाट पहुंचने के बारे में जानकारी दी थी. इसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन हुए थे. अगर आप भी तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन करने की इच्छा रखते हैं, तो आप को इसके लिए चित्रकूट आना होगा.
पुजारी ने दी जानकारी
वहीं लोकल 18 से बातचीत में तोता मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहित महाराज ने बताया कि यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्री राम के दर्शन प्राप्त हुए थे. इस स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने छह महीने तक राम नाम का भजन भी किया था. तभी एक दिन गोस्वामी तुलसीदास जी भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन चंदन घिस रहे थे. तब भगवान श्री राम खुद उनके सामने आए और तुलसीदास जी से चंदन लगाने के लिए मांगने लगे. लेकिन गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में एक दम मगन थे और उन्हें भगवान भी नहीं दिखाई दे रहे थे.
तुलसी दास को तोते के रूप में आकर बताई थी ये बात
तभी हनुमान जी ने देखा कि हमेशा की तरह उस दिन भी गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में मगन हैं, ऐसे में वह भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे. तब हनुमान जी ने तोते का रूप लिया और तोते के रूप में तुलसीदास जी को एक चौपाई सुनाया जो विश्व भर में प्रसिद्ध है. ‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर’.जब तुलसीदास जी ने इस दोहे को मीठी वाणी में सुना तब उन्होंने अपने नेत्र खोले तो उन्हें भगवान श्री राम के दर्शन हो गए, तब से यहां पर हनुमान जी का नाम तोतामुखी हनुमान पड़ गया है.
