31 जनवरी 2025 : श्रीमदभगवद्गीता में लिखे गया हर एक श्लोक भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं बताये हैं. ये ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि ने दिया था, जिससे अर्जुन को आत्मबल मिले और वह पूरे आत्मविश्वास के साथ धर्म युद्ध लड़े. लेकिन आपको बता दें कि उस युग में भगवान श्री कृष्ण ने जो ज्ञान की बातें बताईं थी वे आज भी लोगों का मार्गदर्शन करती हैं. श्रीमद्भगवतगीता सिर्फ एक ग्रंथ ही नहीं बल्कि आज के समय में लोगों के लिए एक उचित मार्गदर्शक की तरह भी है.
माना जाता है कि जो व्यक्ति के भगवतगीता के सार को समझ गया मानों उसका जीवन सफल हो गया. उसे अपने जीवन में हर प्रकार की कठिनाईयों से निकलने का रास्ता मिल जाता है. इसके साथ ही बता दें कि जिन लोगों का मन हमेशा बैचेन रहता है, इधर-उधर भटकता है या हमेशा उन्हें कोई ना कोई भय सताता है और मानसिक शांति चाहते हैं तो ऐसे में गीता पाठ करना चाहिए. इसमें भगवान श्री कृष्ण ने 5 उपदेश दिये हैं जो कि व्यक्ति के हर प्रकार के तनाव से मुक्त करता है और उसे मानसिक शांति का अनुभव करवाता है. तो आइए पंडित रमाकांत मिश्रा से जानते हैं उन उपदेशों के बारे में.
कर्म करें, फल की इच्छा ना करें
श्रीमद्भवद्गीता में श्रीकृष्ण ने बड़े ही सरल शब्दों में बताया है कि व्यक्ति को हमेशा अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए. बिना फल की इच्छा किये उसे कर्म करना चाहिए. क्योंकि जब हम निस्वार्थ्य भाव से कर्म करते हैं और फल की चिंता नहीं करते हैं तो हमें सफल ना होने का डर नहीं सताता और हम शांत चित्त से अपने कर्मों को करते हैं. इससे हमारा मन शांत रहता है.
मोह से रहें दूर
श्रीमदभगवद्गीता के अनुसार, व्यक्ति को किसी चीज के प्रति मोह नहीं करना चाहिए. हालांकि आज के दौर में व्यक्ति को मोहित करने वाली कई चीजें हैं, लेकिन गीता में कहा गया है कि किसी भी चीज से जरुरत से ज्यादा लगाव व उसके प्रति मोह के कारण ही हमारे मन में उलझनें और तनाव उत्पन्न होते हैं. इसलिए ना किसी पर आश्रित रहें, ना ही किसी के प्रति मोह रखें.
भाग्य के भरोसे ना रहें, पुरुषार्थ करें
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से संदेश दिया है कि, व्यक्ति को कभी अपने भाग्य के भरोसे नहीं रहना चाहिए. क्योंकि सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठे रहने से किसी को कुछ नहीं मिलता है. इसलिए हमेशा पुरुषार्थ करें, कहा गया है कि जो व्यक्ति मेहनत करता है उसका भाग्य भी साथ देता है. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए यह भी बताया कि मनुष्य अपने पुरुषार्थ के दम पर भाग्य बदलने की ताकत रखता है. इसलिए कभी भी पुरुषार्थ करने से पीछे ना हटें.
बुद्धि, विवेक से करें कार्य
भगवत गीता के अनुसार, व्यक्ति को हर कार्य बुद्धि और विवेक से करना चाहिए. ऐसा करने से उन्हें ना सिर्फ कार्य में सफलता मिलेगी बल्कि पहले से सोच-समझकर कार्य करने से मानसिक अशांति नहीं आती है. बुद्धि-विवेक के द्वारा किये गए कार्य सफल भी होते हैं और इससे मन में शांति भी बनी रहती है.
चिंता त्यागें, चुनें भगवान की शरण
श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवत गीता के 18वें अध्याय में स्वयं कहा है कि जो लोग अपने सभी धर्मों को त्यागकर ईश्वर की शरण लेते हैं, ऐसे मनुष्यों के सभी प्रकार के भय, कष्ट व चिंताएं भगवान हर लेते हैं. महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भी अपनी शरण में आने को कहा था. उन्होंने अर्जुन से कहा था, तुम सभी धर्मों को त्यागकर मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. इसलिए व्यर्थ की चिंता ना करें.
